हिमाचल प्रदेश में क्रोनिक किडनी डिजीज का आयुर्वेदिक उपचार

अल्कोहोल और किडनी रोग

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क्रोनिक किडनी क्या हैं?

किडनी के रोग में क्रोनिक किडनी डिजीज एक गंभीर रोग हैं, क्योंकि वर्तमान चिकित्सा विज्ञान में इस रोग को खत्म करने की कोई दवा उपलब्ध नहीं हैं। पिछले कई सालों से इस रोग के मरीजों की संख्या में उत्तरोतत्तर वृद्धि हो रही है। दस में से एक व्यक्ति को किडनी की बीमारी होती हैं। डायबिटीज, उच्च रक्तचाप, पथरी आदि रोगों की बढ़ती संख्या इसके लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार हैं।

काफी लंबे समय के बाद मरीजों की दोनों किडनी सिकुड़कर एकदम छोटी हो जाती है और काम करना बंद कर देती हैं, जिसे किसी भी दवा, ऑपरेशन या डायलिसिस से ठीक नहीं किया जा सकता हैं। क्रोनिक किडनी डिजीज को पहले क्रोनिक रीनल फेल्योर कहते थे, लेकिन फेल्योर शब्द एक गलत धारण देता हैं।

क्रोनिक किडनी डिजीज की शुरूआती स्टेज में किडनी द्वारा कुछ हद तक कार्य संपादित होता हैं और अंतिम स्टेज में ही किडनी पूर्ण रूप से कार्य करना बंद कर देती हैं। क्रोनिक किडनी डिजीज के मरीज का पहला स्टेज उचित दवा देकर तथा खाने में परहेज से किया जा सकता हैं।

क्रोनिक किडनी डिजीज में दिखाई देने वाले लक्षण

किडनी के खराब होने के संकेत और लक्षण बीमारी के आखिरी स्टेज पर नज़र आते हैं। इस बीमारी के आम लक्षण इस प्रकार हैं।

  • थकान महसूस होना
  • ज्यादा देर व्यायाम ना कर पाना
  • दिल की बीमारी
  • पेट, पीठ और जोड़ों में दर्द होना
  • कुपोषण, हाई स्किन और खुजली
  • सांस की कमी
  • झाग के समान व गहरे रंग का पेशाब आना
  • पेशाब के दौरान दर्द व जलन होना

डायग्नोस्टिक

अगर ये लक्षण लंबे समय तक नज़र नहीं आते हैं तो ब्लड में प्रोटीन, क्रिएटिनिन व पेशाब का स्तर जांच के लिए तुरंत डायग्नोस्टिक टेस्ट के लिए जाना चाहिए। ब्लड यूरिन टेस्ट, अल्ट्रासाउंड और इमेजिंग और किडनी सेम्पल इसमें मुख्य होते हैं।

क्रोनिक किडनी डिजीज का इलाज

ज्यादातर लोग जल्दी आराम के लिए डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट जैसे एलोपैथी इलाज को चुनते हैं। जब किडनी ठीक से काम नहीं कर पाती है तो डायलिसिस खराब किडनी के लिए वैकल्पिक होता हैं। किडनी ट्रांसप्लांट तब किया जाता है जब किडनी पूरी तरह से कार्य करने से असफल हो जाता है और किडनी नई किडनी के साथ बदली होती है। इन दोनों ही उपचार एक अस्थायी समाधान है और जो की किडनी की समस्या को पूरी तरह से ठीक नहीं करती हैं।

क्रोनिक किडनी डिजीज का आयुर्वेदिक इलाज

कर्मा आयुर्वेदा अस्पताल 1937 में धवन परिवार द्वारा स्थापित किया गया था यहां किडनी फेल्योर के मरीजों का इलाज किया जाता हैं। किडनी की समस्या एक गंभीर बीमारी हैं जिसमें लोगों की जान भी जा सकती है, लेकिन कर्मा आयुर्वेदा एकमात्र उपचार केंद्र है जो आयुर्वेदिक दवाओं से मरीजों का उपचार करते हैं। इस अस्पताल के नेतृत्व में धवन परिवार की 5वीं पीढ़ी यानी डॉ. पुनीत धवन हैं। डॉ. पुनीत 35 हजार से भी ज्यादा किडनी के मरीजों को रोग मुक्त किया है।

आयुर्वेद चिकित्सा शरीर, मन और आत्मा का एक प्राचीन विज्ञान हैं। इसमें जड़ी-बूटियों और ऑरगेनिक का उपयोह होता हैं। आयुर्वेदिक दवाईयां जैसे की वरूण, कासनी, गोखुर, पुनर्नवा और शिरीष जैसे जड़ी-बूटियां से बनता है। यटे जड़ी-बूटियां 100% प्राकृतिक होती हैं और इसका कोई भी दुष्प्रभाव नहीं होता हैं।

साथ ही कर्मा आयुर्वेदा में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों और पूर्व ऐतिहासिक तकनीकों के उपयोग के साथ हजारों किडनी रोगियों का सफलतापूर्वक इलाज किया जाता हैं।

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