किडनी के मरीज़ अपने खाने में सभी चीज़ों का सेवन नहीं कर सकते| और जिनका सेवन कर सकते हैं उन्हें वह सिमित मात्रा में ही लेना होगा| तो इन बातों को ध्यान में रख कर किडनी के मरीज़ क्रिसमस डे के इस त्यौहार को बड़े आराम से मना सकते हैं|
क्रिएटिनिन कम करने के आयुर्वेदिक उपाय, जिनकी किडनी में खराबी है उन्हें इसका सेवन बिना डॉक्टर की सलाह के नहीं करना चाहिए यह आपके लिए हानिकारक हो सकता है|
किडनी में खराबी होने के कारण रोगी को एक बात समझा दी जाती हैं कि आपको अपने खाने-पीने में परहेज रखने की जरूर है| क्योंकि खाने-पीने में परहेज न रखने से रोगी की किडनी भी फेल हो सकती हैं
आप जो भी खाते हैं इसका सीधा असर आपकी सेहत पर पड़ता हैं| लेकिन आपमें से अधिकतर लोगो को इस बात से कोई लेना देना नहीं होता हैं क्योंकि आपको तो बस खाने पीने में स्वाद मिलना चाहिए|
किडनी के मरीज़ मैदा क्यों नहीं खा सकते | आईये जानते है की आयुर्वेदिक किडनी विशेषज्ञ मैदा खाने से माना क्यों करते है | किडनी रोग का आयुर्वेदिक इलाज
कैसे आयुर्वेद एक किडनी पेशंट को अच्छा उपचार प्रदान करता है ? किडनी के इलाज के लिए सर्वश्रेष्ठ आयुर्वेदिक अस्पताल जहाँ आपको बेस्ट किडनी रोग का आयुर्वेदिक इलाज मिलता है |
दूध से कैल्शियम, विटामिन बी, पोटैशियम और मैग्नीशियम जैसे पोषक तत्व प्राप्त होते हैं साथ ही शरीर के लिए आवश्यक पोषक तत्व जैसे प्रोटीन, वसा और कार्बोहाइड्रेड की पूर्ति भी दूध से होती हैं|
कूटू के फायदे, उपयोग और नुकसान | कूटू में बहुत से ऐसे पोषक तत्व मौजूद होते है जो आपको स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए काफी फायदेमंद होता है|
आयुर्वेदिक इलाज़ आपकी किडनी को तो ठीक रखता ही है साथ ही यह आपको शरीर में होने वाली कई और परेशानियों से भी बचाता है| आईये जानते है कैसे
किडनी रोग एक गंभीर रोग हैं, इसके सामान्य लक्षण दिखने पर बिलकुल भी लापरवाही नहीं करनी चाहिए आपको डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए | आयुर्वेदिक किडनी उपचार, किडनी के लिए आयुर्वेदिक दवा
मधुमेह का आयुर्वेदिक उपचार, डायबिटीज की समस्या के लिए एलोवेरा का उपयोग जूस के रूप में किया जा सकता है| जो की आपको डायबिटीज की समस्या से दूर रखता है|
किडनी कोई सामान्य बीमारी नहीं हैं, क्योंकि अन्य बीमारी की तरह इसके शुरुआती चरण में सामान्य लक्षण दिखाई नहीं देते इसलिए किडनी रोग को साइलेंट किलर कहा जाता है|
क्यों पता नहीं चलता किडनी की खराबी? फसलों व सब्जियों में रासायनिक खाद का प्रयोग किया जाता हैं, जानिए आयुर्वेदा में किडनी की बीमारी से ग्रस्त मरीजों का इलाज
अक्सर किडनी में खराबी तब आती है जब आप अपनी डाइट में जरूरत से ज्यादा प्रोटीन, फाइबर, कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, फास्फोरस, पोटेशियम, सोडियम, जिंक, कॉपर, मैगनीज और सेलेनियम जैसी चीज़ों का सेवन करते हैं|
किडनी संक्रमण एक ऐसी समस्या है, जो किसी भी व्यक्ति को हो सकती है| किडनी संक्रमण आपकी किडनी खराबी से जुड़ी एक समस्या है| किडनी शरीर का एक विशेष अंग होता है|
कैसे एक किडनी पेशेंट अपने क्रिएटिनिन को सामान्य श्रेणी में ला सकता है? क्रिएटिनिन का स्तर नार्मल रेंज से बढ़ जाना हमारे स्वास्थ्य के लिए अच्छा संकेत नहीं है
आप अपने दैनिक आहार में घरेलू उपचार को अपनाकर किडनी को स्वस्थ रख सकते हैं| शरीर में होने वाली कई गंभीर बीमारियों में से एक किडनी में संक्रमण होना भी है|
किडनी हमारे शरीर को ठीक से काम करने में मदद करती हैं यह शरीर से टॉक्सिन और अपशिष्ट प्रदार्थों को बाहर निकलने में मदद करती हैं| किडनी अपना काम सही से करे इसके लिए अधिक पानी पीने की सलाह दी जाती हैं|
मधुमेह किडनी खराब होने का कारण कैसे है? जिसमे आँखों से जुड़ी समस्याओं से लेकर किडनी खराब होने तक का भी खतरा बना रहता है। आयुर्वेद में मधुमेह का इलाज कैसे आपकी किडनी को ख़राब होने बचा सकता है
किडनी खराब होने के पहले चरण में किडनी के काम करने की क्षमता 90% तक रहती है। इस स्थिति में पीड़ित व्यक्ति को कोई लक्षण महसूस नहीं होते है। लेकिन इस समय पेशाब में परेशानियां आने लगती हैं। दूसरी और तीसरी स्टेज में
क्या सूखे मटर खाने से किडनी स्वस्थ रहती हैं?, आज इस लेख में हम आपको उन्हीं सूखे मटर के बारे में बताएँगे कि क्या यह किडनी के लिए फायदेमंद हैं या नहीं?
चिलगोजे से किडनी कैसे स्वस्थ रहती है?, चिलगोजे में प्रोटीन, मैग्नीशियम, कैल्सियम, पोटेशियम, आयरन, फोलेट के अलावा कई प्रकार के विटामिन और एंटीओक्सिडेंट तत्व भी मिलते हैं।
किडनी को स्वस्थ रखता है सिंहपर्णी का पौधा, आईये जानते है सिंहपर्णी का पौधा के फायदे जिससे अपनी किडनी का आयुर्वेदिक उपचार से कर सकते है कैसे आप घरेलु उपाये से अपनी गुर्दे की उपचार कर सकते है
किडनी रोगी को फॉस्फोरस क्यों कम लेना चाहिए?, आईये जानते है गुर्दे के रोगियों के लिए कम फास्फोरस वाले खाद्य पदार्थ जिनसे क्रोनिक किडनी रोग फास्फोरस को काम कर सकते है
मेथी किडनी के मरीजों के लिए अच्छी होती है, सीकेडी रोगियों के लिए मेथी के बीज लाभदायक है, आज हम जानेगे किडनी के स्वास्थ्य के लिए मेथी के फायदे और नुकसान
किडनी फेल्योर एक ऐसी जानलेवा बीमारी है जिसका उपचार एलोपैथी में अभी तक मौजूद नहीं है। कर्मा आयुर्वेदा में प्राचीन भारतीय आयुर्वेद की मदद से किडनी फेल्योर का इलाज किया जाता है।
काफल कैसे किडनी के लिए फायदेमंद है?, आयुर्वेदिक किडनी विशेषज्ञ बताते है की काफल आयुर्वेद में किडनी का इलाज में कैसे लाभदायक है | इस लेख में हम जानेंगे कि आखिर कैसे काफल किडनी के लिए फायदेमंद है।
खरबूजे के बीज कैसे रखते हैं किडनी को स्वस्थ, अगर आप अपनी किडनी को स्वस्थ रखना चाहते हैं तो आपको इसे अपने आहार में जरूर शामिल करना चाहिए। तो चलिये जानते हैं आखिर कैसे यह बीज आपकी किडनी को स्वस्थ रखते हैं
क्या नवजात शिशुओं में पॉलीसिस्टिक किडनी रोग की समस्या हो सकती है?, आयुर्वेद में पॉलीसिस्टिक किडनी रोग का इलाज हमारे आयुर्वेदिक किडनी विशेषज्ञ डॉ. पुनीत धवन कर्मा आयुर्वेदा का नेतृत्व कर रहे हैं
किडनी रोग का घरेलू इलाज, आयुर्वेदिक किडनी विशेषज्ञ बताते है अखरोट उन सभी पौषक तत्वों से भरपूर होता है जिनकी मदद से किडनी रोगों से दूर रहती है। आइये जानते है
किडनी को स्वस्थ रखने के लिए हमें कितनी नींद लेनी चाहिए? किडनी रोग का आयुर्वेदिक इलाज द्वारा नींद संबंधी विकार का कारण जानने के बाद निवारण किया जा सकता है।
किडनियां ठीक से काम कर रही है, लेकिन उन्हें उचित मात्रा में खून नहीं मिल रहा। जिसके चलते पेशाब का निर्माण नहीं हो पाता। आईये जानते है मूत्र प्रणाली से किडनी कैसे प्रभावित होती है और आयुर्वेदा में इसका इलाज
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मूत्र पथ संक्रमण या यूरिनरी ट्रैक इन्फेक्शन (UTI) पेशाब से जुड़ी एक ऐसी गंभीर बीमारी है जो की हर उम्र वर्ग के व्यक्ति को हो सकती है और गंभीर समस्याएँ उत्पन्न कर सकती है।
करम साग भले ही गुणों से भरपूर है, लेकिन इसके सेवन से कुछ नकारात्मक प्रभाव भी सामने आ सकते हैं। इसलिए इसके सेवन में हमें सावधानियों का ध्यान रखना जरुरी होता है। इसके सेवन के दौरान निम्न वर्णित बातों का खास ख्याल रखना चाहिए
क्या पॉलीसिस्टिक किडनी रोग केवल वंशानुगत होता है? कर्मा आयुर्वेद द्वारा पॉलीसिस्टिक किडनी का आयुर्वेदिक उपचार जिसमे किडनी पर द्रव से भरे हुए सैकड़ों की गिनती में सिस्ट विकसित होने लगते हैं।
आज के इस लेख में हम इस बारे में जानेंगे कि विदेशों में खराब हुई किडनी को कैसे ठीक किया जाता है और क्या विदेशी उपचार किडनी फेल्योर के लिए सफल उपचार है?
प्याज हमारे लिए किसी संजीवनी बूटी से कम नहीं है। किडनी अपने इन्हीं पोषक तत्वों की मदद से आपकी किडनी को स्वस्थ रखने में मदद करती है। आपको बता दें कि एक प्याज में 86 प्रतिशत प्रोटीन है और 13 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट्स मौजूद होता है।
जानिए क्या सूरजमुखी के बीज किडनी के लिए लाभदायक हैं और कैसे इसका उपयोग करें। इस लेख में हम आपको इसके फायदे और उपयोग की पूरी जानकारी प्रदान करेंगे।
बच्चों में किडनी फेल्योर और मूत्र संक्रमण के लक्षण, कारण और उपचार। इस लेख में जानें कैसे आप बच्चों की सेहत को समझ सकते हैं।
पैशन फ्रूट हमेशा से ही एक दिलचस्प फल रहा है, इसकी विश्व भर में खासा मांग रहती है। यह भले ही एक विदेशी फल माना जाता हो, लेकिन विशेषज्ञ इसे एक भारतीय फल मानते हैं, क्योंकि इसकी खेती भारत के कई इलाकों में काफी लंबे समय से की जाती रही है।
हम सभी लोग किडनी के महत्व से भली-भांति तरह वाकिफ है कि जब हमारी किडनी ठीक से काम करती है तो हमारा शरीर स्वस्थ बना रहता है। हमारी किडनी हमें स्वस्थ रखने के लिए कई कार्यों को अंजाम देती है
मूली एक ऐसी एक सब्जी है जिसे आप आहार में तो शामिल कर सकते हो साथ ही इसे दवा के रूप में भी इस्तेमाल कर सकते है। मूली सलाद का एक आम हिस्सा है
मखाना भारत में नवरात्रों और अनेक उपवासों में खाए जाने वाली सबसे खास चीज़ है। यह खाने में बहुत ही हल्का होता है और आजकल इसे हल्के–फुल्के स्नैक्स के तौर पर आहार में शामिल किया जाता है।
हम सभी लोग इस बात से भली तरह वाकिफ है कि किडनी हमारे शरीर का महत्वपूर्ण अंग है, लेकिन यह हमारे शरीर का सबसे संवेदनशील अंग भी है. किडनी का कार्य किसी भी रोग या समस्या से प्रभावित हो जाता है
ऐस्पैरागस के तने को इसके फूल के साथ पूरा इस्तेमाल किया जाता है सिवाय जड़ के। अब चाहे जो भी हो ऐस्पैरागस गुणों से भरपूर है, इसलिए इसे विश्वभर में खाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
हम सभी इस बात को जानते हैं कि किडनी हमारे शरीर में बहने वाले खून को साफ़ करने का काम करती है, जिसकी वजह से इसे शरीर के सबसे खास अंग की संज्ञा दी गई गई. किडनी आकार में भले ही छोटी होती है
हमारे शरीर में बहने वाले रक्त को साफ़ करने वाली किडनी, शरीर का सबसे खास अंग होने के साथ सबसे संवेदनशील अंग है। क्योंकि यह बड़ी आसानी से हमारी लापरवाहियों का शिकार होकर खराब हो जाती है।
किडनी को साफ और स्वस्थ रखने के लिए हमारे पास कई तरीकें मौजूद है। आप अपनी किडनी को स्वस्थ रखने के लिए बस कुछ खाद्य पदार्थों और जड़ी बूटियों को अपने आहार में शामिल कर सकते हैं,
किडनी खराब होने पर किडनी रोगी को आयुर्वेदिक उपचार ही लेना चाहिए, लेकिन रोगी को उपचार के साथ-साथ परहेज करने भी बहुत जरूरी होते हैं। क्योंकि औषधियों के साथ परहेज रोगी को जल्द ठीक होने में मदद करते हैं।
जिसे किडनी द्वारा साफ़ किया जाता है और दिल की मदद से पूरे शरीर में प्रसारित किया जाता है। अगर आप एक स्वस्थ जीवन व्यतीत करना चाहते हैं, तो आपके पास साफ, स्वस्थ और पूर्ण रक्त होना काफी आनिवार्य है।
प्रोटीन एक तरफ तो व्यक्ति को स्वस्थ रखने में मदद करता है और वहीं दूसरी तरफ शरीर में इसकी अधिकिता होने पर व्यक्ति को कई समस्याएं भी हो सकती है। शरीर में अगर प्रोटीन की अधिक मात्रा हो जाए तो पीड़ित व्यक्ति की किडनी तक भी खराब हो सकती है।
एलोपैथी उपचार में किडनी को ठीक करने का केवल एक ही उपचार मौजूद है “डायलिसिस”। यह रक्त छानने की एक कृत्रिम क्रिया है जो कि शरीर से अपशिष्ट उत्पादों और अन्य विषाक्त तत्वों को शरीर से बाहर निकालने में मदद करती है।
बढ़ती उम्र के साथ अक्सर व्यक्तियों को कई शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जैसे – कमर दर्द, घुटनों का दर्द तथा अन्य समस्याएँ। इन सभी शारीरिक समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए लोग अक्सर दवाओं का सेवन करते हैं
अगर आप किडनी से जुड़ी किसी भी बीमारी या समस्या से जूझ रहे हैं, तो आपको अपने आहार का खास ध्यान रखना चाहिए। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि एक किडनी रोगी का आहार उसके उपचार का करीब 70 प्रतिशत हिस्सा होता है।
एक व्यक्ति को किडनी से जुडी हुई बहुत सी बीमारियाँ हो सकती है, जिसमे किडनी का सिकुड़ना यानि किडनी का आकर कम होना सबसे गंभीर होता है. किडनी के सिकुड़ने का मतलब होता है,
गर्मियों के मौसम में कोल्ड ड्रिंक पीना भला किसे पसंद नहीं होगा, कई लोग तो कोल्ड ड्रिंक पीने के इतने आदि होते हैं कि उन्हें इसकी लत ही लग चुकी होती है। गर्मियों के मौसम में तो कोल्ड ड्रिंक पीना एक फैशन-सा ही बन जाता है।
हमारे शरीर में जहाँ कई पौषक तत्व मिलते हैं, वहीं कई अपशिष्ट उत्पाद भी मिलते हैं, जो हमारे स्वास्थ्य के लिए काफी नुकसानदायक होते हैं। शरीर में मिलने वाले कुछ अपशिष्ट उत्पादों का निर्माण शरीर के भीतर ही होता है
शरीर के किसी भी हिस्से में दर्द होना काफी पीड़ादायक होता है, ऊपर से अगर दर्द अंदरूनी हिस्सों में हो तो वह काफी पीड़ादायक साबित होता है। क्योंकि बाहरी दर्द से आसानी से छुटकारा पाया जा सकता है,
पपीता खाने में बहुत स्वादिष्ट होने के साथ-साथ काफी पौष्टिक फल भी है। स्वाद और स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होने के कारण पपीता एक लोकप्रिय फल है। पपीते के अंदर पाए जाने वाला पेप्सिन नामक तत्व बहुत ही महत्वपूर्ण होता है
हम सभी को भुट्टा खाना बहुत पसंद होता है, लेकिन हम भुट्टा खाने के दौरान उसके रेशे यानी बाल उससे अलग कर देते हैं, लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि भुट्टे के रेशे हमारी सेहत के लिए काफी लाभकारी होते हैं।
जब कोई खुशी का मौका होता है तो लोग अक्सर शराब का सेवन करना पसंद करते हैं। लेकिन हम सब इस बात से भली-भांति वाकिफ है कि शराब का सेवन करने से हमारे शरीर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
अन्य खाद्य उत्पादों के मुकाबले सोयाबीन प्रोटीन का सबसे अच्छा स्रोत है। यह दलहन की एक फसल है, जिसके बीजों को खाने में शामिल किया जाता है। शाकाहारी लोगों के लिए सोयाबीन प्रोटीन का सबसे अच्छा विकल्प है
क्या आपने कभी इस विषय में विचार किया है कि किडनी जो हमारे शरीर में बहने वाले खून को साफ़ करने का काम करती है, आखिर वो खराब क्यों हो जाती है? वैसे तो किडनी खराब होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं
आमतौर पर बैंगन की सब्जी खाना सभी को पसंद नहीं होता, हाँ अगर बात बैंगन के भरते की हो तो शायद ही ऐसा कोई होगा जो इसका दीवाना ना होगा। भारत के साथ विश्व भर में पाए जाने वाला बैंगन (एगप्लांट) हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत ही उपयोगी होता है।
हम अपनी उन सभी चीजों को बहुत सहेज कर रखते हैं जो कि हमारे जीवन में काफी अहमियत रखती है, अब चाहे वो सजीव हो या निर्जीव। लेकिन जब बात आती है किडनी कि तो हम इस ओर ज्यादा ध्यान नहीं देते।
जिस प्रकार किडनी आपकी सेहत को सुधारने के लिए कई कार्यों को अंजाम देती है, ठीक उसी प्रकार यह खराब होने के बाद आपकी सेहत को कई प्रकार से नुकसान भी पहुंचाती है।
आमतौर पर लोग मूत्र और मूत्र से जुड़ी समस्याओं के बारे में खुलकर बात नहीं करते, लेकिन मूत्र आपके स्वास्थ्य के बारे में सब कुछ बता देता है। पेशाब शरीर में जमा अपशिष्ट उत्पादों से बना हुआ है, एक तरल उत्पाद है जो कि किडनी द्वारा बनाया जाता है।
हमारी किडनी शरीर की कोशिकाओं द्वारा निर्मित अम्ल के निष्काशन का कार्य भी करती है। साथ ही किडनी रक्त से पानी, क्षार, और खनिजों- जैसे सोडियम, कैल्शियम, फास्फोरस और पोटेशियम के बीच संतुलन को बनाए रखती है।
खीरे में काफी मात्रा में पानी होता है जो पाचन को सुधारने में मदद करता है। पाचन को सुधारने के लिए काम आने वाला एरैपसिन एंजाइम खीरे में पाया जाता है।
किडनी के लिए लाभकारी है “मूंग दाल” | मूंग दाल में पोटेशियम उचित मात्रा में मिलता है जो उच्च रक्तचाप को काबू करने में काफी सहायक होता है।
काबुली चने किडनी को कैसे रखते हैं स्वस्थ? जानें कैसे काबुली चने की सेवन से आप अपनी किडनी को स्वस्थ रख सकते हैं। यहाँ पढ़ें और स्वास्थ्य को बनाएं और बनाएं रखें।
मोटापा कैसे किडनी रोगी के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है? जानें कैसे मोटापे का बढ़ता खतरा रखता है किडनी के लिए और कैसे स्वस्थ जीवनशैली से बचाव किया जा सकता है।
किडनी हमारे शरीर में सभी रसायनों के बीच संतुलन बनाने का काम करती है, जिससे शरीर का विकास ठीक रूप से हो पाता है। किडनी मूल रूप से हमारे शरीर में बहने वाले रक्त को साफ करने का काम करती है।
गुर्दे की विफलता को रोकने के लिए शीर्ष 5 खाद्य पदार्थ: आपके गुर्दों के स्वास्थ्य को सुरक्षित रखने के लिए सर्वश्रेष्ठ आहार विकल्प।
किडनी की बीमारी आज के समय में एक आम समस्या बन गई| पहले के समय में लोग डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट के नाम को जानते भी नहीं थे| जो लोग जानते थे उनका कहना सिर्फ यही था कि यह सब इलाज़ पैसे वाले लोग करवा सकते हैं|
पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज के दौरान किडनी पर बने कुछ सिस्ट आकार में बड़े होते हैं और कुछ काफी छोटे, जिन्हें एक निर्धारित परिक्षण के बिना नहीं देखा जा सकता।
कैसे समझें किडनी की परेशानी को? अपनी किडनी की समस्याओं को समझें और सही उपाय ढूंढें। जानें किडनी की परेशानी के लक्षण और इलाज के बारे में।
किडनी की बीमारी के पांच चरण कौन से हैं? जानिए किडनी की बीमारी के पांच चरण और उनके लक्षण। सही देखभाल और इलाज से रोकें इस खतरनाक समस्या को।
किन 6 आदतों को अपनाकर किडनी को खराब होने से बचा सकते हैं? अगर आप अपनी किडनी को स्वस्थ रखना चाहते हैं तो आपको प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ (processed foods) और फ्रोज़ेन फ़ूड से दूर रहना चाहिए।
क्या करेला खाने से किडनी स्वस्थ रहती है? अगर आप नियमित रूप से करेलो को अपने आहार में शामिल करते हैं तो आप किडनी फेल्योर जैसे गंभीर रोग से भी दूर रह सकते हैं।
नीम कैसे किडनी को स्वस्थ रखता है? नीम एक प्राकृतिक उपचार है जो किडनी को स्वस्थ रखने में मदद कर सकता है। इसकी गुणकारी विशेषताएँ किडनी की समस्याओं को कम करने में मदद कर सकती हैं।
ओट्स खाने से किडनी बनी रहती है स्वस्थ, ओट्स खाने से किडनी को मिलता है शक्ति और स्वस्थता। जानिए कैसे इस सरल खाद्य से बनाएं अपनी किडनी को स्वस्थ और मजबूत।
भारतीय परमपराओं में कमल के फूल का बड़ा महत्व है। यह भारत में लोगो की धार्मिक आस्थाओं से जुड़ा हुआ है। ठीक इसी प्रकार कमल का तना यानि कमल ककड़ी का आयुर्वेद में खास महत्व है।
हरी सब्जियों की बात करे तो उसमे भिन्डी सबसे खास सब्जी मानी जाती है, क्योंकि अक्सर बाकि सभी हरी सब्जियों को खाने में लोक आनाकानी करते हैं. लेकिन भिन्डी को सभी लोग खाना पसंद करते हैं
अमरबेल एक आयुर्वेदिक औषधी है, पर कभी कभी इसके उपयोग से कुछ समस्याएं हो सकती है इसलिए इनका उपयोग पूरी जानकारी होने पर ही करना चाहिए।
अगर आप या आपका कोई अपना प्रोटीनूरिया की समस्या से जूझ रहा है तो आपको आयुर्वेदिक उपचार ही लेना चाहिए। क्योंकि प्रोटीनुरिया के दौरान एलोपैथी दवाओं के सेवन से किडनी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने की आशंका बढ़ जाती है
एक मनुष्य के शरीर में बहुत सारे अंग होते हैं जो शरीर के सुचारू रूप से काम करने में मदद करते हैं। सभी अंगों में अगर सबसे खास अंग की बात कि जाए तो वह शायद किडनी होगी। क्योंकि किडनी हमारे शरीर में सभी रसायनों के बीच संतुलन बनाने का काम करती है,
लोबिया एक किस्म की फली है जिसे हम दाल की श्रेणी में भी रख सकते हैं। इसे हिंदी में चवली या चवली क फली और अंग्रेजी में काओपी (COWPEA) के नाम से जाना जाता है। भारत के कुछ हिस्सों में इसे काली आँख वाली मटर के नाम से भी जाना जाता है।
भोजन करते समय हम साथ में सलाद जरूर लेते हैं, जो हमारे भोजन का अहम हिस्सा है। भोजन के साथ सलाद खाने के कई फायदे होते हैं। अक्सर भारी और तेज़ मसलों वाला खाना खाने के बाद हमें पेट संबंधित कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
बादाम राजेशी परिवार से संबंध रखने वाला फल है, बादाम के अंदर बहुत से पोषक तत्व पाए जाते हैं, जैसे - प्रोटीन, मिनरल्स्, विटामिंस और फाइबर्स आदि। वैसे तो बादाम अपनी हर स्थिति में पोषक तत्वों से भरपूर होता है
वर्तमान समय में किडनी की समस्या आम समस्या हो गई है। किडनी में समस्या होना हमारी बदलती जीवनशैली की वजह से हो सकती है। किडनी का काम आपके रक्त को साफ़ करने का होता है।
क्या आपको मालुम है हमारी किडनी ना केवल खून साफ करती है बल्कि वह खून बनाने का भी काम करती है। किडनी के भीतर एर्योथ्रोइएतिक (ERYOTHROIETIC) नाम का एक हॉर्मोन (HORMONE) पाया जाता है
पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज से आयुर्वेद दिलाएगा निदान, पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज किडनी से जुड़ी एक ऐसी बीमारी है जो हमें अपने अपने परिवार वालों से मिलती है, यह एक जुड़ा एक वंशानुगत रोग है।
किडनी व्यक्ति के शरीर का सबसे खास अंग है, यह पुरे शरीर में रासायनिक संतुलन बनाने का कार्य करती है. किडनी हमारे शरीर में बहने वाले रक्त को साफ करने का कार्य करती है
चॉकलेट एक ऐसा विश्व प्रसिद्ध खाद्य उत्पाद है जिसको किसी परिचय की आवश्यकता नहीं है, यह सबकी पसंदीदा मिठाई है। लेकिन लोग इसके बारे में कुछ ज्यादा जानकारी नहीं रखते, जिसके चलते लोगो का मानना है
विटामिन्स कैसे किडनी को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं? जानिए कैसे विटामिन्स आपकी किडनी के लिए आवश्यक होते हैं और उनकी सहायता से कैसे आप अपने शरीर को स्वस्थ रख सकते हैं।
अमरूद किडनी के लिए कैसे लाभकारी है? अमरूद किडनी के लिए एक शक्तिशाली उपाय है। यह किडनी स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है और स्वस्थ जीवनशैली का समर्थन करता है।
क्या किडनी अपने आप ठीक हो सकती है? क्या किडनी अपने आप ठीक हो सकती है? जानिए कैसे निदान और उपचार कर सकते हैं, इस हेल्थ संबंधी उत्कृष्ट गाइड के साथ।
वरुण वृक्ष है किडनी के लिए लाभकारी, वरुण वृक्ष की आयुर्वेदिक गुणधर्म से जानिए किडनी के लिए उपयोगी फायदे। वरुण वृक्ष: एक प्राकृतिक समाधान किडनी स्वास्थ्य के लिए।
यूरीमिया रोग क्या है? जानिए इस रोग के कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक उपचार, समय पर जानकारी पाने के लिए हमारे संपूर्ण गाइड को पढ़ें। यूरीमिया से बचाव करने का सबसे उत्तम तरीका है
क्या आयुर्वेदिक द्वारा नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम का उपचार हो सकता है? नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम से छुटकारा पाने के लिए आयुर्वेद में निम्न वर्णित औषधियों का प्रयोग किया जाता है
पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज के लिए आयुर्वेदिक उपचार सबसे पहले आप अपने आहार में परिवर्तन करे जिससे बीमारी को कुछ हद कर ठीक करने में आसानी होती है।
क्रोनिक किडनी डिजीज का आयुर्वेदिक उपचार, क्रोनिक किडनी डिजीज के मरीज का पहला स्टेज उचित दवा देकर तथा खाने में परहेज से किया जा सकता है।
आयुर्वेदिक उपचारों से किडनी फेल्योर का संभावित इलाज। प्राकृतिक तरीके से सेहत को सुधारें और जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाएं। किडनी फेल्योर की आयुर्वेदिक दवा
आजकल बहुत से लोग किडनी की समस्या से परेशान हैं, जिसके परिणामस्वरूप कई असामान्यताएं और लक्षण हैं जो बहुत सी जटिलताएं पैदा कर देती है। यह एक्यूट किडनी फेल्योर या एक्यूट किडनी डिजीज वह स्थिति है
क्रिएटिनिन कम करने के आयुर्वेदिक उपाय, आयुर्वेदिक उपचार से क्रिएटिनिन को कम करें। जानें नेचुरल तरीके और घरेलू नुस्खे। आजमाएं विशेषज्ञ सलाह।
आयुर्वेदिक किडनी फेल्योर उपचार, प्राकृतिक तरीके से किडनी की सेहत को सुधारें। विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा समर्थित। घरेलू उपाय किडनी फेल्योर के लिए
आयुर्वेद में किडनी फेलियर का उपचार, लेकिन जब किडनी फेल होने लगे तो आप किडनी फेलियर ट्रीटमेंट इन आयुर्वेद से अपना इलाज करवा सकते हैं।
प्रोटीनुरिया किडनी से जुड़ी सबसे गंभीर समस्या है जोकि शरीर में प्रोटीन की कमी के कारण होती है. प्रोटीनुरिया की समस्या होने किडनी खराब होने का एक लक्षण है। प्रोटीन हमारे शरीर के विकास के लिए बहुत जरुरी होता है।
चाय हमारे जीवन का एक अहम हिस्सा बन चुकी है, तक़रीबन हर व्यक्ति अपने दिन की शुरुआत चाय के साथ ही करता है। चाय पीने से भले ही हम तरोताजा महसूस करते हैं लेकिन इसके कई नुकसान भी होते है।
कौन से योगासन किडनी के लिए है बेहतरीन? किडनी को स्वस्थ रखने के लिए योगासन बेहद प्रभावी हैं। जानें कौन से योगासन किडनी के लिए बेहतरीन हैं, और कैसे इन्हें करने से आपको लाभ हो सकता है।
हमारे स्वास्थ्य के लिए दूध जरूरी है, क्योंकि दूध में पोषक तत्व इतने है कि दुनिया भर के लोग इसे अपने आहार का मुख्य हिस्सा मानते हैं। दूध में विटामिन-ए, विटामिन-बी12 और विटामिन-डी अच्छी मात्रा में होते हैं।
क्या किडनी के लिए राजमा लाभदायक हो सकता है? राजमा में पोषक तत्व होते हैं जो किडनी स्वास्थ्य में सहायक हो सकते हैं। जानें कैसे राजमा किडनी के लिए लाभदायक हो सकता है और इसके सेवन के सही तरीके।
किडनी के लिए कॉफी लाभदायक या हानिकारक? कॉफी में फाइटोन्यूट्रिएंट्स (phytonutrient), पॉलीफिनॉल्स (Polyphenols), कई सारे एंटीऑक्सीडेंट्स, रिफ्लेविन (Replevin) यानी विटामिन-बी, मैंगनीज, पोटेशियम, मैग्नीशियम, नियासिन और कैफीन पाए जाते हैं।
चुकंदर किडनी के लिए कैसे लाभकारी है? चुकंदर किडनी के लिए एक अद्वितीय उपाय है। इसकी प्राकृतिक गुणधर्मों से किडनी को लाभ मिलता है, जो स्वास्थ्य को संतुलित और मजबूत बनाता है।
खजूर बेहद मिठास भरा होता है और इसे देखते ही मुंह में पानी आ जाता है। खजूर को अंग्रेजी में डेट्स, अरबी में तवारीख और फ्रेंज में पामियर के नाम से जाना जाता है। खजूर को ताड़ यानी पाल्म ट्री की प्रजाति का माना गया है।
क्या पालक किडनी के लिए हो सकता है लाभदायक? 100 ग्राम पालक में 28.1 माइक्रोग्राम विटामिन-सी होता है, इसलिए इसे अपनी डाइट में शामिल करने से पहले डॉक्टर से जरूर सलाह लें।
क्या मशरूम किडनी को स्वस्थ रखने में मददगार है? मशरूम पौषक तत्वों से भरपूर होती है, इसके गुणों को देखते हुए इसे एक औषधि के रूप में भी प्रयोग में लाया जाता है।
फूलगोभी खाने से कैंसर, मधुमेह, हृदय रोग, संक्रमण, अधिक वजन, सूजन जैसे कई अन्य कई बीमारियों से बचाव होता है, यह विशेषकर किडनी को स्वस्थ रखने में काफी मददगार मानी जाती है।
अंडे में बहुत सारे पोषक तत्व होते हैं। अंडा बच्चों और बड़ो दोनों के लिए ही फायदेमंद होता है। यह गुणों से भरपूर होता है, लेकिन जब अंडे की सही जानकारी न होने पर अपने भोजन में शामिल करते हैं, तो यह नुकसानदेह भी हो सकता है।
शकरकंद जिसे हम स्वीट पोटैटो को नाम से भी जानते हैं। आप सब ने मीठा आलू यानि शकरकंद तो जरूर खाया होगा, लेकिन इसके फायदे या नुकसान के बारे में सोचा है। लाल किस्म में मीठे आलू की सुगंध में एक विशेषता है
खाना हमारे लिए काफी फायदेमंद हैं, इस बात से हम सभी वाक़िफ़ हैं। इसी कारण भारत में लहसुन का प्रयोग बड़े स्तर पर किया जाता है। वेदों में इसे तामसिक भोजन की श्रेणी में रखा गया है, क्योंकि वेदों के अनुसार लहसुन का सेवन असुर करते थे
गाजर हर मौसम में खाते है और इसमें बहुत से पोषक तत्व होते हैं जो हमारी हेल्थ के लिए अच्छे होते हैं। गाजर प्रदूषण में काफी असरदार है। इसी के साथ गाजर में कई स्वास्थ्य लाभ भी है
परवल कैसे किडनी के लिए लाभकारी है? जी हाँ, हम अपने खाने की मदद से अपनी किडनी को स्वस्थ रख सकते हैं। आप “परवल” की मदद से भी अपनी किडनी को स्वस्थ रखते हैं।
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किडनी की कार्य क्षमता कम होने महीने से कई वर्षों तक की समय लगता है, तो उसे क्रोनिक किडनी डिजीज कहा जाता है। इस बीमारी की लास्ट स्टेज स्थायी रूप से किडनी फेल्योर होता है।
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किडनी हमारे शरीर का सबसे जरुरी अंग होने के साथ-साथ यह सबसे संवेदनशील अंग भी है। यह हमारी थोड़ी सी लापरवाही के चलते खराब हो जाती है। हमारी बिगड़ती लाइफस्टाइल के चलते हमारी किडनी सबसे जल्दी खराब होती जा है।
पेशेंट का नाम अरुणेश सिंह तिवारी है, जो कि मध्यप्रदेश के रहने वाले हैं। वह किडनी की गंभीर बीमारी की समस्या से जूझ रहे थे। रोगी अरुणेश जी का क्रिएटिनिन लेवल और यूरिया लेवल लगातार बढ़ता जा रहा था।
किडनी हमारे शरीर में बहने वाले खून को साफ करने का कार्य करती है। खून साफ करने के समय किडनी खून में मौजूद सारे अपशिष्ट उत्पादों को बाहर निकाल देती है। हमारे खून में सोडियम, एसिड, पोटेशियम, अतिरिक्त कैल्शियम, शर्करा जैसे कई अपशिष्ट उत्पाद होते हैं
दिल्ली एनसीआर, नॉएडा की निवासी पिंकी देवी जी, किडनी की समस्या से जूझ रही थी। किडनी में आई समस्या के चलते पिंकी जी को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। पिंकी जी को बार-बार उल्टियाँ आ रही थी
आजकल के वक़्त में हर इंसान इतना व्यस्त हो चूका है उसके पास अपनी सेहत का ख्याल रखने का समय ही नहीं होता है कि वो योग या एक्सरसाइज करके स्वस्थ रह सकें।
एक्यूट किडनी फेल्योर तब होता है, जब आपकी किडनी रक्त से अपशिष्ट पदार्थों को फिल्टर करना अचानक से बंद कर देती है। जब किडनी की रक्त छानने की क्षमता खराब हो जाती है
किडनी मानव शरीर का एक अति महत्वपूर्ण अंग है, यह अंग खून साफ करने जैसे कई महत्वपूर्ण कार्यों को करती है। किडनी शरीर से अपशिष्ट उत्पादों, अतिरिक्त क्षार, और अम्ल जैसे रसायनों को शरीर से बाहर निकालने का कार्य करती है।
शिव प्रसाद साहू - कर्मा आयुर्वेदा में किडनी पेशेंटों के लिए विशेष उपचार! अपनी किडनी सेहत को संभालें और स्वस्थ जीवन का आनंद लें। बेस्ट आयुर्वेदिक किडनी उपचार के लिए किडनी ट्रीटमेंट इन इंडिया में संपर्क करे
रोगी का नाम श्रीराम कुमार है, जो कि जिला औरंगाबाद (बिहार) के रहने वाले है। रोगी श्रीराम जी किडनी फेल्योर की गंभीर स्थिति से पीड़ित थे। रोगी की हालत इतनी गंभीर थी कि, उन्हें हफ्ते में दो बार डायलिसिस करवाना पड़ रहा था।
पेशेंट का नाम श्रीमती रोनी (47 उम्र) है, जो कि मणिपुर की रहने वाली है। वह किडनी फेल्योर की अंतिम स्थिति से जूझ रही थी। रोगी का क्रिएटिनिन लेवल बेहद तेजी से बढ़ता जा रहा था
राजस्थान के रहने वाले किडनी पेशेंट राम गोपाल जी, जो कि क्रोनिक किडनी डिजीज की अंतिम स्थिति से पीड़ित थे और उनकी हालत बेहद नाजुक थी। जिसके चलते एलोपैथी डॉक्टर ने डायलिसिस के लिए बोल दिया था।
पेशेंट का नाम चम्पा बेगम है, जो कि ढाका (बांग्लादेश) की रहने वाली है। वह किडनी डिजीज की समस्या से जूझ रही थी। रोगी का क्रिएटिनिन लेवल धीरे-धीरे बढ़ता ही जा रहा था
28 साल की किडनी मरीज का नाम रानी कुमारी है, जो कि पटना की रहने वाली है। वह किडनी डिजीज से जूझ रही थी। इस बीमारी की शुरूआती अवस्था में एलोपैथी डॉक्टर ने दवाइयां दी थी
रोगी का नाम रमेश चंद्र गुप्ता है, जो कि उत्तम नगर (दिल्ली) के रहने वाले हैं। वह क्रोनिक किडनी डिजीज की शुरूआती अवस्था से जूझ रहे थे और उनकी किडनी 50 से 60 प्रतिशत डैमेज हो चुकी थी।
आज के समय में सभी लोग बहुत-पढ़े लिखे होते हैं लेकिन फिर भी सही जानकारी न होने के कारण लोगों को अपनी बीमारियों के बारे में पता नहीं होता या फिर अधूरे इलाज के कारण अपनी जान से हाथ धो बैठते हैं। उन बीमारियों में से एक बीमारी है किडनी की समस्या!
हल्दी हमारी किचन में बहुत आसानी से मिल जाती है जिसे ‘भारतीय केसर’ या भारत का ‘सुनहरा मसाला’ भी कहा जाता है। एक शोध के मुताबिक यह बात सामने आई है कि हल्दी में मौजूद कर्क्यूमिन हमारी सेहत के लिए अत्यधिक लाभदायक है।
किडनी हमारे शरीर का सबसे जरुरी अंग है, यह कई ऐसे कम करती है जिससे हमारा शरीर स्वस्थ बना रहता है। किडनी हमारे शरीर में बहनें वाले खून को साफ करने का सबसे जरुरी काम करती है।
पेशेंट का नाम मोहम्मद अशरफ (37 उम्र) है, जो कि बिजनोर के रहने वाले हैं। वह किडनी की बीमारी की शुरूआती अवस्था से जूझ रहे थे। रोगी को पहले ही ह्रदय रोग की समस्या थी
भारत का प्रसिद्ध आयुर्वेदिक उपचार केंद्र कर्मा आयुर्वेदा में सिर्फ किडनी की बीमारी का आयुर्वेदिक इलाज किया जाता है। यह अस्पताल दिल्ली में धवन परिवार द्वारा सन् 1937 में स्थापित किया गया था
रोगी का नाम नयन मोंडल है, जो कि कोलकता की रहने वाली है। वह किडनी फेल्योर की समस्या से जूझ रही थी। रोगी का क्रिएटिनिन लेवल लगातार बढ़ने की वजह से एलोपैथी डॉक्टर ने उन्हें डायलिसिस करवाने के लिए बोल दिया गया था
अदरक मूल से रूप से एक मसाला है, जो हमारे घरो में बड़े आराम में मिल जाती है। अदरक में पाए जाने वाले अति वशिष्ट गुणों के चलते इसे आयुर्वेद में एक औषधि का दर्जा दिया गया है।
किडनी हर इंसान के लिए एक अहम अंग होता है, बिना किडनी के कोई भी व्यक्ति अपने जीवन के बारे में नहीं सोच सकता है इसलिए अपनी किडनी को स्वस्थ रखना भी हमारा काम है।
रोगी का नाम पंकज विश्वकर्मा (33 उम्र) है, जो कि मुंबई के रहने वाले हैं। रोगी पंकज जी की किडनी गंभीर रूप से डैमेज हो चुकी थी। साथ ही उनका क्रिएटिनिन लेवल भी काफी बढ़ चुका था और लगातार बढ़ता ही जा रहा था।
भारत में पिछले 15 सालों में किडनी रोगों में दोगुना वृद्धि हुई है। आजकल की बिगड़ती लाइफस्टाइल और गलत खान-पान इसकी सबसे बड़ी वजह है। शरीर से अपशिष्ट पदार्थो को बाहर निकालने की जिम्मेदारी किडनी की है
31 साल के किडनी पेशेंट, नाम अतुल कुमार सिंह है। वह क्रोनिक किडनी डिजीज की अंतिम स्थिति से पीड़ित थे। रोगी का क्रिएटिनिन स्तर लगातार बढ़ता जा रहा था
उपरोक्त लिखे लक्षणों की पहचान कर आप किडनी फेल्योर जैसी जानलेवा बीमारी से छुटकारा पा सकते हैं। लेकिन जब किसी व्यक्ति को इस बीमारी के बारे में जानकारी मिलती है
किडनी की एक अहम समस्या का कारण पी.के.डी हो सकता है। पी.के.डी का अर्थ है पोलिसिस्टिक किडनी डिजीज है। आमतौर पर किडनी रोगों में पोलिसिस्टिक किडनी डिजीज यानि पी. के. डी. की समस्या सबसे अधिक पाई जाती है
किडनी संक्रमण उस समय होता है जब किसी कारण से जीवाणु मूत्र पथ या गुदा (ANAL) से होते हुए किडनी में प्रवेश कर लेता है जिसके चलते किडनी संक्रमित हो जाती है। किडनी संक्रमण और मूत्र संक्रमण होने के पीछे ई कोलाई नामक जीवाणु होता है
किडनी खून साफ करते समय कई प्रकार के अपशिष्ट उत्पादों को पेशाब के जरीय शरीर से बाहर निकाल देती है, जिसमे क्रिएटिनिन भी एक होता है। किडनी रक्त में क्रिएटिनिन का स्तर सामान्य बना कर व्यक्ति को स्वस्थ बनाए रखती है।
क्रोनिक किडनी डिजीज या किडनी फेल्योर किडनी की सबसे गंभीर बीमारी है। इस किडनी की बीमारी से तकरीबन सभी लोग वाकिफ है। किडनी की इस बीमारी में रोगी की किडनी बहुत धीमे-धीमे खराब होती है।
किडनी हमारे शरीर का एक अभिन्न अंग है, यह हमारे शरीर को विकसित करने में काफी सहायता प्रदान करती है। किडनी के कार्यों की बात करे तो यह हमारे शरीर में रसायनो का संतुलन बनाएं रखने का जरुरी काम करती है।
किडनी शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है। किडनी की खराबी किसी भी गंभीर बीमारी या मौत का कारण बन सकती है। वैसे आप इसकी तुलना एक सुपर कंप्यूटर के साथ कर सकते हैं
रोगी का नाम सोमन दत्ता (30 उम्र) है, जो कि त्रिपुरा से आए है। वह किडनी फेल्योर की गंभीर समस्या से जूझ रहे थे। रोगी के बढ़ते क्रिएटिनिन की वजह से उन्हें डायलिसिस के लिए बोल दिया गया था। साथ ही इस बीमारी के कारण उन्हें अन्य जटिलताओं का भी सामना करना पड़ रहा था
रोगी का नाम विलास एस पाटील (उम्र 33) है, जो कि कोल्हा (महाराष्ट्र) से आए हैं। वह किडनी की बीमारी की शुरूआती अवस्था से जूझ रहे थे। रोगी को अधिक प्रोटीन लीकेज की समस्या थी और क्रिएटिनिन लेवल भी लगातार बढ़ता जा रहा था।
रोगी का नाम शाहिदुल्लाह कैसर है, जो कि बांग्लादेश के रहने वाले हैं। वह किडनी फेल्योर के शुरूआती स्टेजों से जूझ रहे थे। रोगी का क्रिएटिनिन लेवल लगातार बढ़ता जा रहा था और उनका eGFR लेवल भी बिल्कुल घट चुका था।
रोगी का नाम राजेश (30 उम्र) है, जो कि वाराणसी (यूपी) के रहने वाले हैं। वह किडनी की बीमारी की गंभीर स्थिति से पीड़ित थे और दर्द भरे डायलिसिस प्रोटोकॉल का सामना कर रहे थे। साथ ही किडनी की बीमारी की जटिलताओं से जूझ रहे थे।
किडनी भले ही आकर में छोटी होती हो लेकिन यह हमारे शरीर में कई जरूरी कार्यों को अंजाम देती है। किडनी हमारे शरीर से अपशिष्ट उत्पादों को शरीर से बाहर निकालने का जरूरी काम करती है।
हर व्यक्ति द्वारा लिए गए आहार के प्रकार और उसकी मात्रा में हर दिन परिवर्तन होता रहता है। आहार की विविधता के कारण शरीर में पानी की मात्रा, अम्लीय और क्षारीय पदार्थों की मात्रा में निरंतर परिवर्तन होता है।
किडनी का काम ब्लड प्रेशर को बनाए रखने, रेड ब्लड सेल्स के उत्पादन के लिए, शरीर में अम्ल को नियंत्रित करने और मेटाबॉलिज्म को प्रभावित करने वाले हार्मोन जैसे- कैल्शियम, सोडियम, पोटेशियम और अन्य इलेक्ट्रोलाइट का उत्पादन करने के लिए होते हैं।
मरीज का नाम श्रीमती ज़ैतून है, जो कि बिजनौर की रहने वाली है। वह किडनी की बीमारी से जूझ रही थी और 20 साल से शुगर की समस्या से पीड़ित थी। हर जगह से इलाज करवाने के बाद भी रोगी में कोई सुधार देखने को न मिला।
रोगी का नाम पूरन सिंह (उम्र 51) है, जो कि अलीगंढ से आए हैं। वह किडनी फेल्योर की बीमारी से जूझ रहे थे। रोगी का क्रिएटिनिन लेवल लगातार बढ़ने की वजह से उन्हें डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट करवाने के लिए बोल दिया गया था।
किडनी शरीर का अभिन्न अंग है इस बात से सभी अवगत है। इसका कार्य बहुत ही जटिल होता है जिसकी तुलना हम किसी बड़ी मशीन या कंप्यूटर से कर सकते है। जिस तरह किडनी कई कार्य करती है ठीक उसी प्रकार किडनी खराब भी कई चरणों में होती है।
किडनी हमारे शरीर का एक अहम अंग होता है, अगर वह कम करना बंद कर दें तो हमारी जान को जोखिम हो सकता है। आज की भागदौड़ भरी ज़िन्दगी के कारण बहुत से व्यक्ति अपने लिए समय नहीं निकाल पाते हैं
रोगी को अपोलो अस्पताल में किसी के माध्यम से कर्मा आयुर्वेदा के बारे में पता चलने पर, तुंरत ही अपना इलाज शुरू कर दिया। कर्मा आयुर्वेदा में आने से पहले रोगी का क्रिएटिनिन लेवल – 5.99mg/dl था
हर महिला के मन में यहीं सवाल आता है कि अगर किसी महिला को किडनी की बीमारी हो, तो क्या वह मां बनने का जोखिम उठा सकती हैं? इसके लिए स्वस्थ गर्भावस्था महिला को जोखिम वाले कुछ कारकों पर नजर रखना जरूरी है।
किडनी हमारे शरीर में सफाई का काम करती है। यह शरीर से गंदगी बाहर निकलाने वाले सिस्टम (URINARY SYSTEM) का एक बहुत अहम हिस्सा है।
सिक्किम से आई रोगी का नाम के.सी.शेरपा है, जो कि किडनी की बीमारी की गंभीर स्थिति से जूझ रही थी और उनके बढ़ते क्रिएटिनिन लेवल की वजह से उन्हें डायलिसिस के लिए बोल दिया गया था।
किडनी हमारे शरीर में कई महत्वपूर्ण कार्यों को अंजाम देती है। किडनी के बिना हमारे शरीर की कल्पना तक भी नहीं की जा सकती। किडनी रक्त को शुद्ध कर हमारे शरीर के अधिक पानी, नमक और अपशिष्ट तत्वों को पेशाब के जरिए शरीर से बहार निकाल देती है।
किडनी शरीर का अभिन्न अंग है इस बात से सभी भली भांति परिचित है। इसका कार्य बहुत ही जटिल होता है जिसकी तुलना हम किसी बड़ी मशीन से आसानी से कर सकते हैं। किडनी खराब होने में एक लम्बा समय लेती है।
मरीज का नाम खदेश्वर है, जो कि उड़ीसा के रहने वाले है। खदेश्वर जी एक आर्मी ऑफिसर है और क्रोनिक किडनी डिजीज की समस्या से जूझ रहे थे। कर्मा आयुर्वेदा में आने से पहले उनका हफ्ते में 2 बार डायलिसिस चल रहा था
दुनिया भर में आए दिन कोई ना कोई बीमारी के कारण लाखों लोगों की जान जा रही है उन्हीं बीमारियों में से एक बीमारी है किडनी की समस्या। आज के समय में लगभग 10 में से 3 लोग किडनी की कोई ना कोई समस्या से जूझ रहे हैं।
क्रोनिक किडनी डिजीज सी.के.डी. में दोनों किडनी को खराब होने में महीनों से सालों तक का समय लगता है। इसकी शुरूआत में दोनों किडनी की कार्यक्षमता में अधिक कमी न होने की वजह कोई भी लक्षण दिखाई नहीं देते हैं
किडनी की महता से तो सभी परिचित है, यह हमारे शरीर को स्वस्थ रखने के लिए बहुत से कार्यों को अंजाम देती है। किडनी हमारे शरीर से अपशिष्ट उत्पादों को बाहर निकालने का कार्य करती है
रोगी का नाम एस.बी.गुरूंग (उम्र 68) है जो कि देहरादून से आए हैं। वह किडनी फेल्योर की गंभीर बीमारी का सामना कर रहे थे। रोगी को डायलिसिस के लिए फिस्टुला करवाने के लिए बोल दिया गया था।
वैसे हमारे शरीर में सभी अंग महत्वपूर्ण होते हैं, जिसमें से किडनी सबसे महत्वपूर्ण अंगों में आती है। अगर खराब लाइफ स्टाइल या किसी दवा के दुष्प्रभाव स्वरूप कई बार किडनी में कुछ समस्याएं आ सकती है।
उच्च रक्तचाप एक गंभीर समस्या है, इस समस्या को हाइपरटेंशन या हाई ब्लड प्रेशर के नाम से भी जाना जाता है। हमारा दिल धड़कते समय धमनियों के जरिए पूरे शरीर में रक्त संचार करता है
बनारस (यू.पी.) से आए पेशेंट का नाम उमेश वर्मा है। वह किडनी फेल्योर की अंतिम स्थिति से जूझ रहे थे। रोगी की हालत इतनी गंभीर हो गई थी
किडनी हमारे शरीर में रक्त शुद्ध कर अपशिष्ट उत्पादों, अतिरिक्त क्षार और अम्ल को पेशाब के जरिये शरीर से बाहर निकाल देती है, जिससे शरीर में संतुलन बना रहता है। लकिन कई कारणों के चलते किडनी खराब हो जाती है
मरीज का नाम अनीता रावत (उम्र 23) है। वह किडनी फेल्योर की गंभीर बीमारी से जूझ रही थी। रोगी की हालत इतनी गंभीर हो गई थी कि उन्हें किडनी ट्रांसप्लांट के लिए बोल दिया गया था।
बढ़ती उम्र के बाद शरीर की कार्यक्षमता कम हो जाती है, जिसके कारण व्यक्ति कई बीमारियों की चपेट में आने लगता है। 60 की उम्र के बाद अक्सर व्यक्ति उच्च रक्तचाप, मधुमेह, बदन दर्द, घुटनों और जोड़ों के दर्द जैसी समस्याओं से जूझने लगता है।
रोगी का नाम अजय गुप्ता है जो कि रोहिणी (दिल्ली) के रहने वाले हैं। अजय जी डिप्रेशन के पेशेंट थे, जिसकी वजह से उन्हें डिप्रेशन की अधिक दवाओं का सेवन करना पड़ रहा था।
किडनी हमारे शरीर का एक खास अंग तो है ही, साथ ही किडनी शरीर का सबसे संवेदनशील अंग भी है। किडनी से जुड़ी सभी समस्याएं गंभीर होती है। अगर किडनी से जुड़ी समस्याओं का ठीक समय पर उचित उपचार न किया जाए तो छोटी सी समस्या किडनी की विफलता का कारण बन सकती है।
रोगी का नाम श्रीमती रामकली है (उम्र 50 साल), जो कि किडनी फेल्योर की गंभीर बीमारी से पीड़ित थी। रोगी के बेटे ने बताया, कि उनकी मां को बढ़ते क्रिएटिनिन स्तर के साथ-साथ काफी समस्याओं का भी सामना करना पड़ रहा था
इस बात से सभी अवगत है कि किडनी हमारे शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है। किडनी का कार्य बहुत ही जटिल होता है, जिसकी तुलना हम किसी बड़ी मशीन से कर सकते हैं।
शरीर में सभी अंग महत्वपूर्ण है, लेकिन किडनी बाकि सभी अंगों के मुकाबले सबसे खास अंग है। किडनी के बिना मानव शरीर काम नहीं कर सकता। किडनी हमें स्वस्थ रखने के लिए कई कार्यों को अंजाम देती है।
आम चाय के मुकाबले ग्रीन टी सेहत के लिए काफी फायदेमंद होती है। ग्रीन टी ना केवल आपको ताज़गी से भरती है बल्कि यह आपको स्वस्थ भी बनाएं रखती है। ग्रीन टी वजन कम करने में काफी असरदार मानी जाती है।
हल्दी हर घर पाए जाने वाली एक खास आयुर्वेदिक औषधि है। हल्दी, अदरक की तरह जमीन के अंदर उगती है, एक निश्तिच समय के बाद इसकी जड़ों को सुखाकर और फिर पीसकर पीले रंग का पाउडर तैयार किया जाता है
जनकपुर (नेपाल) से आई मरीज का नाम रतन देवी शा है। वह किडनी फेल्योर की गंभीर स्थिति से जूझ रही थी। उनका क्रिएटिनिन लेवल लगातार बढ़ता जा रहा था और उन्हें किडनी की बीमारी के गंभीर लक्षणों का सामना करना पड़ रहा था
हमारे शरीर को बाहर और अंदर से स्वस्थ रखना बेहद जरूरी होता है। शरीर के अंदरूनी हिस्से हर समय अपना कार्य करते रहते हैं। हमारे शरीर में सभी अंग बहुत महत्वपूर्ण होते हैं और उनमें से एक महत्वपूर्ण अंग किडनी भी है।
किडनी मनुष्य के शरीर का महत्वपूर्ण अंग है। यह रक्त को शुद्ध कर, अपशिष्ट उत्पादों, अतिरिक्त क्षार और अम्ल को शरीर से बाहर निकालने का विशेष कार्य करती है। किडनी के इस कार्य से शरीर में रसायनों का संतुलन बना रहता है
हम अपने बाहरी शरीर की सफाई तो कर लेते हैं, लेकिन हम अपने आंतरिक शरीर की सफाई नहीं कर पातें। जिस प्रकार हमारे बाहरी शरीर की सफाई जरूरी है, ठीक उसी प्रकार हमारे आंतरिक शरीर की सफाई भी जरूरी है।
रोगी का नाम चंद्रदीप प्रसाद है, जो कि किडनी फेल्योर की स्थिति से जूझ रहे थे। चंद्रदीप जी का क्रिएटिनिन लेवल लगातार बढ़ता जा रहा था। साथ ही उन्हें इस गंभीर बीमारी में कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था
किडनी को स्वस्थ रखने के लिए वैसे तो बहुत सी औषधियां हैं, लेकिन गोखरू इसमें सबसे खास हैं। गोखरी किडनी के लिए सबसे उत्तम औषधि मानी जाती है।
क्या तुलसी किडनी फेल्योर को रोकने में मदद करती है? तुलसी में एंटी-स्ट्रेस एजेंट होते हैं, जो तनाव को कम करने में मदद करते हैं। एक स्वस्थ व्यक्ति तुलसी की पत्तियों को दिन में 2 बार खा सकता है। जिससे रक्त साफ होगा और तनाव दूर रहेगा।
डायबिटीज के दुष्परिणाम के चलते किडनी की खराबी आम बात होती जा रही है। 20 से 30% डायबिटीज के मरीजों में किडनी की समस्या अर्थात डायबिटीक नेफ्रोपैथी हो जाती है।
रोगी का नाम श्री सुहर्ष सिन्हा है जो गिरिडीह झारखंड के रहने वाले हैं। वह किडनी फेल्योर की अंतिम स्थिति से पीड़ित थे। रोगी का क्रिएटिनिन लगातार बढ़ने की वजह से हफ्ते में 2 बार डायलिसिस करवाना पड़ रहा था।
मुस्तफा जी का क्रिएटिनिन बढ़ने की वजह से उन्हें कई समस्याओं का भी सामना करना पड़ रहा था। रोगी की स्थिति इतनी गंभीर हो गई थी कि बांग्लादेश के एलोपैथी डॉक्टरों ने उन्हें डायलिसिस की सलाह दे दी थी।
टिहरी (उत्तराखंड) से आई रोगी का नाम श्रीमती सुरेश राणा है। वह क्रोनिक किडनी फेल्योर की बीमारी से पीड़ित थी। उन्हें इस बीमारी में कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था।
मरीज का नाम उमेश चंद्र गुप्ता है जो उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं। वह क्रोनिक किडनी डिजीज से पीड़ित थे और इसके गंभीर लक्षणों से जूझ रहे थे। एलोपैथी डॉक्टर ने उन्हें साफ कह दिया था कि किडनी ट्रांसप्लांट ही एकमात्र विकल्प है।
हनुमान गढ़ (राजस्थान) से आए रोगी राजकुमार जी, किडनी रोग की गंभीर समस्या से जूझ रहे थे। उन्होंने कर्मा आयुर्वेदा में आने से पहले 2 बार डायलिसिस करवाया था। इसी के साथ वह किडनी की बीमारी के अन्य लक्षणों से भी परेशान थे
कीवी में पौष्टिकता होने के साथ-साथ विटामिन सी, पोटेशियम और फोलिक एसिड का बेहद अच्छा स्त्रोत है। ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होने की वजह से कीवी मधुमेह के लिए बहुत अच्छा होता है।
किडनी के मरीजों को अपने खान-पान का खास ध्यान रखना चाहिए और नाश्ते का खासतौर पर ध्यान रखना चाहिए। जिससे किडनी की बीमारी से आराम मिल सकता है।
कद्दू में कार्बोहाइड्रेट, आयरन, ज़िंक, प्रोटीन, कैलोरी, फाइबर, कैल्शियम, मैग्नीशियम, फोलेट, फास्फोरस, सोडियम, विटामिन के, और विटामिन सी जैसे पोषक तत्व मिलते हैं
एंटीबायोटिक दवा शरीर में मौजूद बैक्टीरिया और वायरस को खत्म करती है, क्योंकि शरीर के सभी रोगों की वजह से कोई न कोई हानिकारक बैक्टीरिया या वायरस पैदा होते हैं।
नागपुर से आए किडनी रोगी का नाम मनीष रेड्डी है। वह किडनी फेल्योर की समस्या से पीड़ित थे। रोगी का क्रिएटिनिन काफी तेजी से बढ़ता जा रहा था और इसी के साथ उन्होंने काफी दर्द और परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था
67 साल की किडनी पेशेंट रेखा रानी (कोलकाता), क्रोनिक किडनी डिजीज की गंभीर स्थिति से जूझ रही थी। रोगी की हालत बिल्कुल गंभीर हो गई थी जिससे उनका क्रिएटिनिन लेवल लगातार बढ़ता जा रहा था
रोगी का नाम रमेश है जो किडनी की शुरूआती समस्या से पीड़ित थे। उन्हें इस बीमारी में अधिक समस्याओं का सामना करना पड़ता रहा था | अगर हम अपने आहार और डेली रूटीन में कुछ बदलाव करें, तो आप किडनी की बीमारी से बेहद आसानी से बच सकते हैं।
रोगी का नाम प्रीति है जो किडनी रोग की गंभीर स्थिति से पीड़ित थी। प्रीति का क्रिएटिनिन लेवल लगातार बढ़ने की वजह से उन्हें दर्द भरे डायलिसिस से गुजरना पड़ रहा था। रोगी को डायलिसिस के साथ-साथ गंभीर लक्षणों का सामना करना पड़ रहा था।
अगर हम तेल के बारे में बात करें तो जैतून का तेल ख्याल में जरूर आता है। जैतून का तेल जैतून के पेड़ पर लगे फलों से निकाला जाता है, इसकी खेती मुख्य रूप से भूमध्य इलाके में बड़े पैमाने में की जाती है।
स्ट्रॉबेरी के अंदर बहुत से पोषक तत्व होते हैं, जो हमारे शरीर के लिए बहुत ही उपयोगी है। इसके सेवन से हमें गठिया, कैंसर, दिल संबंधी रोग, पीलिया जैसी कई बीमारियों से छुटकारा मिलता है।
किडनी रोग में क्रोनिक किडनी डिजीज एक गंभीर रोग है क्रोनिक किडनी डिजीज के शुरूआती स्टेज में किडनी द्वारा कुछ हद तक कार्य होता है और लास्ट स्टेज को आयुर्वेदिक दवा देकर, खाने में परहेज से और योग आसान से ठीक किया जा सकता है।
किडनी रोगियों के लिए मछली नुकसानदेह साबित हो सकती है, क्योंकि मछली में अधिक मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है जो किडनी को खराब कर सकती है।
कच्चा आम जितना खाने में स्वादिष्ट होता है | कच्चे आम में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, विटामिन, खनिज पदार्थ और वसा के साथ पानी की अच्छी मात्रा होती है।
वृक्क यानि की किडनी हमारे शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग है। किडनी मानव शरीर का सबसे संवेदनशील अंग है, यह मानव शरीर के शारीरिक और मानसिक विकास में अहम भूमिका अदा करती हैं।
रोगी का नाम राजीव कपिल है जो जालंधर (पंजाब)के रहने वाले हैं। वह क्रोनिक किडनी डिजीज की अंतिम स्थिति से जुझ रहे थे। रोगी का जालंधर के अस्पताल में 8 दिन तक इलाज चला था
विदेशी मूल का फल, स्टारफ्रूट कई पौष्टिक तत्वों से भरपूर होता है। यह एक उष्णकटिबंधीय (Tropical) फल है जो लगभग पूरे दक्षिण एशिया में उगाया जाता है। भारत में इसकी खेती हाल ही में शुरू हुई है।
मनाली, हिमाचल से आए रोगी विवेक किडनी की समस्या से पीड़ित थे। विवेक अधिक बॉडी बिल्डिंग किया करते थे जिसमें उन्हें ज्यादा प्रोटीन का सेवन करना पड़ता था और रोगी ने 4 साल तक प्रोटीन का सेवन किया था।
नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम एक किडनी विकार है। जब पेशाब में प्रोटीन की अधिक मात्रा आने लगे और रक्त में प्रोटीन की कमी हो जाए तब व्यक्ति को नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम की बीमारी हो जाती है।
मरीज का नाम शिवराम स्वामी है जो आयुर्वेदिक इलाज के लिए राजस्थान से आए हैं। वह किडनी फेल्योर की अंतिम स्थिति से पीड़ित थे। शिवराम जी का क्रिएटिनिन लगातार बढ़ने की वजह से एलोपैथी डॉक्टर ने उन्हें डायलिसिस की सलाह दे दी थी
किडनी खराब होने के 5 चरण होते हैं, हर चरण में मरीज की परेशानी बढ़ती चली जाती है, इसलिए सही समय पर इलाज कराने की सलाह दी जाती है ताकि परेशानी को कम से कम समय में ठीक किया जा सकें। आइए जानते हैं किडनी खराब होने के 5 चरण-
गाजर के अंदर आपको विटामिन्स और खनिज अच्छी मात्रा में मिलते हैं। विटामिन्स में आपको विटामिन ए, विटामिन सी और विटामिन के मिलता है।
हाइड्रोनफ्रोसिस की समस्या से जूझ रहे है तो आपके शरीर में इसके निम्नलिखित संकेत या लक्षण दिखाई दे सकते है। इन लक्षणों की पहचान कर आप इस गंभीर समस्या से निजात पाने की तरफ कदम रख सकते है
किडनी हमारे शरीर से अतिरिक्त तरल पदार्थ और विषाक्त पदार्थों को बाहर रखने के लिए नियमित रूप से कई आवश्यक कार्य करती है। किडनी की कार्यप्रणाली हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत आवश्यक है।
किडनी रोग कभी भी अकेला नहीं आता जब भी किसी व्यक्ति को किडनी रोग होता है उस समय वह और भी कई समस्याओं से घिर जाता है। किडनी रोग अपने साथ अनेक बीमारियों को साथ में लाता है जिसमे से एक दर्दभरी समस्या है
आयुर्वेद की मदद से क्रिएटिनिन करे कम, अगर आप रोजाना उच्च मात्रा में प्रोटीन का सेवन करते है क्रिएटिन बनाने वाले सप्लिमेंट्स भी ब्लड और यूरिन में क्रिएटिनिन के लेवल को बढ़ा सकते हैं।
कर्मा आयुर्वेदा भारत में सबसे प्रसिद्ध आयुर्वेदिक किडनी उपचार केंद्र हैं वह पूर्ण हर्बल और प्राकृतिक उपचार दवाओं का इस्तेमाल करते हैं जिसमें शरीर पर कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है।
हमारे शरीर के महतवपूर्ण अंग में किडनी सबसे अहम है, इसके बिना शरीर का काम करना मुश्किल होता है। किडनी वह काम करती है जो कि बाकि अंग नहीं कर सकते और यदि किडनी खराब हो जाए तो मनुष्य का जीवन भी संकट में आ जाता है।
मूत्र में प्रोटीन के लिए आयुर्वेदिक उपचार, शाब में झाग बने तो इस प्रॉब्लम को इग्नोर न करें। ये इंफेक्शन या किडनी से रिलेटेड प्रॉब्लम्स का संकते हो सकता हैं।
मरीज़ का नाम चंद्र भान गर्ग हैं जो 62 की उम्र में किडनी फेल्योर की समस्या से पीड़ित थे। रोगी का क्रिएटिनिन लेवल अधिक बढ़ चुका था जिसके चलते सभी एलोपैथी डॉक्टर ने डायलिसिस की सलाह दे दी थी
रोगी का नाम विक्रांत हैं जो फरीदाबाद के रहने वाले हैं। वह किडनी फेल्योर की गंभीर समस्या से जूझ रहे थे। इस बीमारी में उनका क्रिएटिनिन स्तर और ब्लड यूरिया लगातार बढ़ता जा रहा था। रोगी को कई समस्याओं के साथ काफी दर्द और परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था।
ब्लैकबेरी में कैल्शियम, आयरन, फास्फोरस, पोटेशियम और जिंक जैसे खनिज भी पाए जाते हैं। इसके अलावा एमिनो एसिड और फाइबर का भी अच्छा स्त्रोत होता हैं और इसमें हानिकारक कोलेस्ट्रॉल नहीं होता हैं
झागदार यूरिन के लिए आयुर्वेदिक उपचार, कई बार बाथरूम में पहले से पड़े रह गए साबुन के पानी या डिटर्जेंट की वजह भी यूरिन में झाग उठता प्रतीत होता हैं
रोगी का नाम श्री. एन.के. जैन जो रोहिणी दिल्ली के रहने वाले हैं। वह किडनी फेल्योर की गंभीर स्थिति से जूझ रहे थे। उनका क्रिएटिनिन लेवल लगातार बढ़ता जा रहा था। रोगी को नेफ्रोलॉजिस्ट डॉक्टर ने कह दिया था
मरीज का नाम मास्टर प्रिंस कुमार हैं वह सिर्फ साढ़े छह साल के बच्चे हैं। उन्हें नेफ्रोटीक सिंड्रोम के साथ-साथ बेड वेटिंग की समस्या थी। रोगी के पिता ने हर जगह से इलाज करवाया और उन्हें बोल दिया था
आज कर्मा आयुर्वेदा में आई है बिहार से रोगी पार्वती देवी। जो किडनी डिजीज की गंभीर समस्या से जूझ रही थी। रोगी की हालत इतनी गंभीर हो गई थी कि एलोपैथी डॉक्टर ने डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट की सलाह दे दी थी।
मरीज अनीता रावत जो नैनीताल की निवासी हैं। वह किडनी फेल्योर की गंभीर स्थिति से पीड़ित थी। अनीता को इस बीमारी में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था और रोगी का क्रिएटिनिन भी लगातार बढ़ता जा रहा था।
पेशेंट रंजीत जो दार्जिलिंग के रहने वाले हैं। वह किडनी फेल्योर की गंभीर समस्या से जूझ रहे थे। एलोपैथी डॉक्टर ने रोगी को डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट की सलाह दे दी थी। साथ ही इंसुलिन दिन में 64 यूनिट होता था।
मानव शरीर का एक ऐसा अंग होता हैं जो शरीर से विषाक्त पदार्थों को छानकर पेशाब के रूप में निकालने में मदद करती हैं। रक्त को साफ करने का काम करने वाली किडनी ज्यादातर हमारी लापरवाही का शिकार होती हैं।
किडनी खराब होने के लक्षण, किडनी के कार्यों की बात करे तो आपको बता दें की किडनी का मुख्य कार्य खून की सफाई करना होता है इसके अलावा किडनी हड्डियों को मजबूत करने का भी कार्य करती है।
कर्मा आयुर्वेदा ने अनेको बार सिद्ध किया हैं कि क्रिएटिनिन को कम किया जा सकता हैं और जीएफआर को बढ़ाया जा सकता हैं। डॉ. पुनीत धवन ने हजारों रोगियों को किडनी की बीमारी से मुक्त किया हैं।
मरीज का नाम संजय खातरकर है जो मध्यप्रदेश के रहने वाले हैं। वह किडनी फेल्योर की गंभीर स्थिति से जूझ रहे थे और हफ्ते में दो बार डायलिसिस करवाते थे। इसी के साथ अन्य बीमारी और काफी दर्द का सामना करना पड़ रहा था।
सुबह नाश्ते में ओट्स खाना सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता है। अच्छे स्वास्थ के लिए रोजाना ओट्स का सेवन जरुर करना चाहिए। ओट्स का सेवन करने से हमें सीधे दो प्रकार के फायदें मिलते है।
आयुर्वेद में तुलसी के फायदे और नुकसान, अगर लोग मधुमेह या हाइपोग्लाइसीमिया से पीड़ित हैं और दवा के तहत तुलसी का भी इस्तेमाल करते हैं तो इससे रक्त शर्करा में अत्यधिक कमी हो सकती हैं।
रोगी रमेश तिवारी किडनी फेल्योर की बीमारी से जूझ रहे थे। रमेश तिवारी मुज्ज़फरपुर बिहार के निवासी है। उनकी किडनी खराब होने के कारण उन्हें काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था।
नाशपाती हर किसी को पसंद होता हैं। आप इसे भूलकर भी साधारण फल न समझें। इससे इतने सारे औषधीय गुण होते हैं जो सीधे आपके स्वास्थ्य पर प्रभाव डालते हैं जैसा की हम जानते हैं गर्मियों के मौसम आते ही शीतल पेय की जरूरत का अनुभव होने लगता हैं।
टिंडा खाने के फायदे और नुकसान, टिंडे के अंदर बहुत से पोषक पाए जाते है जो हमारे स्वास्थ के लिए बहुत ही जरुरी होते है। टिंडे के अंदर विटामिन्स और खनिज दोनों प्रचुर मात्रा में मिलते है।
ब्लूबेरी ‘वैक्सीनियम’ प्रजाति से संबंधित एक फल हैं। ये फल नार्थ अमेरिका, यूरोप, साउथ अफ्रीका और एशिया में पाया जाता हैं। ब्लूबेरी को भारत में कई जगहों पर नीलबदरी के नाम से जाना जाता हैं।
परवल को आयुर्वेदिक औषधि के रूप में भी जाना जाता हैं जो कब्ज, बुखार, स्किन इंफेक्शन, घावों, कम भूख और पाचन तंत्र संबंधी बीमारियों के इलाज कें इस्तेमाल किया जाता हैं।
किडनी के लिए फायदेमंद हैं उबले आलू, आदिवासियों का मानना है कि आलू खाने से मोटापा नहीं बढ़ता बल्कि उसे तलने में इस्तेमाल होने वाला घी, तेल आदि से होता हैं।
कच्चा पपीता स्वास्थ्य लाभों से भरपूर होता हैं, लेकिन इसका अधिक सेवन करने से कुछ दुष्प्रभाव भी होते हैं, इसलिए औषधीय प्रयोजन के लिए इस्तेमाल करते समय इनको बेहद कम मात्रा में सेवन किया जाना चाहिए।
पेशेंट का नाम ज़ैतून है, जो बिजनौर उत्तर प्रदेश की रहने वाली हैं। वह किडनी फेल्योर की गंभीर स्थिति से पीड़ित थी। रोगी किडनी की बीमारी के साथ अन्य बीमारियों से भी जूझ रही थी हर जगह इलाज करवाने के बाद कर्मा आयुर्वेदा रोगी का एकमात्र सहारा बना।
मरीज का नाम उमा, जो दिल्ली की रहने वाली हैं। वह क्रोनिक किडनी डिजीज की अंतिम स्थिति से जूझ रही थी। उन्हें इस बीमारी में काफी दर्द और दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था।
रोगी मनोज कुमार, जो राजस्थान के रहने वाले हैं। वह किडनी की खतरनाक बीमारी से जूझ रहे थे। इस बीमारी में उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था और क्रिएटिनिन भी बढ़ता जा रहा था।
पेशेंट का नाम श्री ईशान गर्ग हैं जो शाहदरा से आए हैं। वह किडनी की बीमारी से पीड़ित थे इस बीमारी में रोगी को प्रोटीनुरिया की समस्या अधिक थी और क्रिएटिनिन भी बढ़ता जा रहा था। एलोपैथी इलाज के समय रोगी को स्टेरॉयड भी लेना पड़ रहा था।
रोगी का नाम बिलाल अहमद हैं, जो कश्मीर के रहने वाले हैं। वह किडनी फेल्योर की समस्या से जूझ रहे थे। किडनी की इस गंभीर बीमारी में बहुत से परेशानियों और दर्द का सामाना करना पड़ रहा था।
ब्रोकली के फायदे और नुकसान, इसमें विटामिन-ए और सी, फोलिक एसिड, फाइबर, कैल्शियम, पोटेशियम और मैग्नीशियम जैसे पर्याप्त पोषक तत्व शामिल हैं जो आपके लिए हेल्दी होते हैं।
केसर के फायदे और नुकसान, प्राचीन समय से ही 90 से ज्यादा बीमारियों का इलाज करने के लिए किया जाता रहा हैं, तो चलिए जानते हैं केसर के फायदे और नुकसान के बारे में।
रोगी का नाम पूनम भंडार हैं जो हिमाचल की रहने वाली हैं। वह किडनी फेल्योर की बीमारी से जूझ रही थी। रोगी डायबिटीज के पेशेंट थी जिसकी वजह से उन्हें हफ्ते में 14 इंसुलिन लेने पड़ते थे और क्रिएटिनिन भी बढ़ता चला जा रहा था।
सेब साइडर विनेगर का इस्तेमाल बालों को कंडीनशर करने के लिए भी किया जाता हैं। आप एक पर पानी में आधा चम्मच सिरका मिलाएं, इससे बालों की मसाज करें और थोडी देर बाद बालों को धो लें। फिर देखें अपने बालों को कितनी सिलकी होगें।
चीकू के फायदे और नुकसान, चाहे किसी भी प्रकार का रोग क्यों ना हो लेकिन रोगी के आहार में चीकू जरुर शामिल होता है। हमें अपने स्वास्थ को ठीक रखने के लिए रोजाना खाने के बाद एक चीकू का सेवन जरुर करना चाहिए।
कमल ककड़ी कमल के फूल का तना होता है जिसका प्रयोग ना केवल घर में व्यंजन बनाने में होता है बल्कि आयुर्वेद में इसका प्रयोग औषधि के तौर पर रोगों से उपचार के लिए होता है।
रोगी का नाम रोहित हैं जो गाज़ियाबाद, उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं। वह किडनी रोग की समस्या से पीड़ित थे और हफ्ते में दो बार डायलिसिस करवाते थे। रोगी की हालत गंभीर होने पर उन्हें ट्रांसप्लांट के लिए बोल दिया गया था। सही समय पर कर्मा आयुर्वेदा के बारे में पता चला और तुरंत इलाज शुरू कर दिया था।
मरीज़ का नाम श्रीधर हैं जो आगरा के रहने वाले हैं। वह किडनी फेल्योर की समस्या से जूझ रहे थे उन्हें इस समस्या में काफी दिक्कतों और दर्द का सामना करना पड़ रहा था
श्रीमती रेखा जी राजधानी दिल्ली, शाहाबाद डेरी की निवासी है। रेखा काफी समय से किडनी फेल्योर की जानलेवा बीमारी से जूझ रही थी। किडनी ख़राब होने के कारण उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था
मरीज कांता देवी जो पंजाब की रहने वाली हैं। वह किडनी फेल्योर की समस्या से परेशान थी। इस बीमारी में उन्हें बहुत सी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था और उनका क्रिएटिनिन भी लगातार बढ़ता जा रहा था
मरीज़ का नाम संजय पारथी जो महाराष्ट्र के रहने वाले हैं। वह किडनी की बीमारी से जूझ रहे थे उन्हें इस समस्या में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था और क्रिएटिनिन भी बढ़ता जा रहा था।
आयुर्वेद में हींग के फायदे और नुकसान, हींग का इस्तेमाल खाना बनाने के लिए किया जाता हैं। हींग में प्रोटीन, फाइबर, कार्बोहाइड्रेट, कैल्शियम, फास्फोरस, लौह, हैं।
रोगी धर्मवीर जो पानीपत के रहने वाले हैं। वह किडनी रोग से पीड़ित थे, उन्हें किडनी प्रॉब्लम की वजह से कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था। एलोपैथी डॉक्टर ने रोगी को डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट करवाने के लिए बोल दिया था।
रोगी का नाम रणवीर सिंह है जो क्रोनिक किडनी डिजीज की समस्या से जूझ रहे थे। यह बीमारी बेहद खतरनाक हैं जिसमें लोगों को अपनी जान भी गवानी पड़ती हैं। रोगी को भी इस में काफी दर्द का सामना करना पड़ रहा
बढ़ती जीवनशैली की बीमारियों के प्रसार के साथ भारत में क्रोनिक किडनी रोग (सीकेडी) में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। चिकित्सकों का कहना है कि बढ़ता वायु प्रदूषण भी क्रोनिक किडनी रोगों के बढ़ते जोखिम का एक कारक है
पुनर्नवा का वैज्ञानिक नाम बोरहैविया डिफ्यूजा हैं। हर साल फिर से नया हो जाना पुनर्नवा ग्रीष्म ऋतु में सूख जाता हैं। वर्षा ऋतु आते रहते सोता इसमें शाखाएं फूट पड़ती हैं और यह वापस जीवित अवस्था में आ जाता हैं।
हमारे शरीर में दो किडनियां होती है, दोनों किडनियों का एक ही काम होता है। हमारे शरीर से अपशिष्ट को शुद्ध करना और उन्हें पेशाब के रूप में शरीर से बाहर निकलना जिससे हमारे शरीर में संतुलन बना रहे।
आयुर्वेदिक उपचार किडनी रोगियों के लिए काफी फायदेमंद साबित हुआ हैं। आयुर्वेद प्राकृतिक जड़ी-बूटियों और तकनीकों के उपयोग के साथ सभी प्रकार की शारीरिक बीमारियों के इलाज के लिए एक प्राचीन प्रथा माना जाता हैं।
किडनी शरीर का मुख्य अंग हैं जो शुद्धिकरण का काम करता हैं, लेकिन जब शरीर में किसी रोग की वजह से दोनों किडनी अपना सामान्य कार्य करने में अक्षम हो जाती हैं, तो इस स्थिति को हम किडनी फेल्योर कहते हैं।
देशभर में इस समय सफाई पर काफी ध्यान दिया जा रहा है। भारत सरकार द्वारा बड़े स्तर पर सफाई अभियान भी चलाया जा रहा है। इस अभियान के सार्वजानिक शौचालयों की सफाई पर भी काफी जोर दिया जा रहा है।
देशभर में इस समय सफाई पर काफी ध्यान दिया जा रहा है। भारत सरकार द्वारा बड़े स्तर पर सफाई अभियान भी चलाया जा रहा है। इस अभियान के सार्वजानिक शौचालयों की सफाई पर भी काफी जोर दिया जा रहा है।
किसी भी चीज़ की अधिकता हमारी सेहत के लिए नुकसानदेह साबित हो सकती है। हमें हर चीज़ को सीमित मात्रा में ही इस्तेमाल करना चाहिए। कुछ लोग नींद, सुस्ती भगाने के लिए और दिमाग को तरोताज़ करने के लिए कॉफ़ी का सेवन करना पसंद है।
चंदौली में किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक उपचार, आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों का विस्तार से उल्लेख किया गया है जिनकी मदद से ख़राब किडनी को पुनः ठीक किया जा सकता है।
मैनपुरी में किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक उपचार, आप आयुर्वेद की सहायता से भी "किडनी फेल्योर" जैसी बीमारी से मुक्ति पा सकते है। "कर्मा आयुर्वेदा" से संपर्क साध आप प्राचीन भारतीय आयुर्वेदिक पद्धत्ति से किडनी फेल्योर से निजात पा सकते है।
गाजियाबाद में किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक उपचार, हमारी किडनी शरीर में बहुत से महत्वपूर्ण कार्यों को अंजाम देती है. वैसे किडनी के कुछ महत्वपूर्ण कार्य है जिन्हें किडनी न करे तो हमारी किडनी ख़राब हो सकती है।
रोगी का नाम हीरा लाल, जो यूपी के रहने वाले हैं। वह किडनी रोग की समस्या से परेशान थे और इस वजह से उन्हें काफी दर्द का सामना करना पड़ था। सभी डॉक्टरों ने उन्हें डायलिसिस लेने को बोल दिया था।
पेशेंट का नाम प्रदीप कुमार शर्मा, जो हापुड़, उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं। वह किडनी की समस्या से जूझ रहे थे और इस समस्या से उन्हें काफी दर्द का सामना करना पड़ रहा था। साथ ही एलोपैथी डॉक्टरों ने डायलिसिय और किडनी ट्रांसप्लांट करवाने के लिए बोल दिया था।
आयुर्वेदिक उपचार तन-मन और आत्मा के बीच संतुलन बनाकर स्वास्थ्य में सुधार करता हैं। आयुर्वेद में न केवल उपचार होता हैं। बल्कि ये जीवन जीने का ऐसा तरीका सिखाता हैं, जिससे जीवन लंबा और खुशहाल होता हैं।
किडनी रोग बेहद गंभीर होता हैं अगर इनका समय पर इलाज नहीं किया जाए, तो उपचार असर नहीं करता हैं। विकासशील देशों में ज्यादा पैसों में संभावित समस्याओं और उपलब्धता की कमी होने की वजह किडनी फेल्योर से पीड़ित सिर्फ 5-10% मरीज डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट करवाते हैं।
किडनी रोग बेहद गंभीर होता हैं अगर इनका समय पर इलाज नहीं किया जाए, तो उपचार असर नहीं करता हैं। विकासशील देशों में ज्यादा पैसों में संभावित समस्याओं और उपलब्धता की कमी होने की वजह किडनी फेल्योर से पीड़ित सिर्फ 5-10% मरीज डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट करवाते हैं।
मरीज का नाम बद्री सिंह हैं जो छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं। वह किडनी डिजीज की समस्या से जूझ रहे थे। रोगी को हर महीने टेस्ट करवाने पड़ते थे और बहुत से एलोपैथी दवाओं का सेवन करना पड़ रहा था, लेकिन फिर भी कोई सुधार नहीं दिख रहा था।
रोगी का नाम कमलेश मिश्रा हैं जो दिल्ली में सोनिया विहार के रहने वाले हैं। किडनी की बीमारी की वजह से रोगी को बहुत-सी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था और क्रिएटिनिन लगातार बढ़ता जा रहा था। जिसके चलते रोगी को डायलिसिस लेने की सलाह दे दी थी।
मरीज का नाम जे.पी सिंह हैं जो जौनपुर यूपी से आए हैं। वह किडनी रोग से पीड़ित थे। रोगी की हालत बिल्कुल गंभीर हो गई थी जिससे चलते डॉक्टरों ने डायलिसिस लेने के लिए बोल दिया था और बाद में ट्रांसप्लांट लेने के लिए भी कही था।
पेशेंट का नाम विवेक कुमार हैं वह यूपी के रहने वाले हैं। रोगी किडनी रोग से जूझ रहा था। विवेक कुमार के भाई ने बताया कि, रोगी की हालत बिल्कुल गंभीर थी लगातार क्रिएटिनिन लेवल बढ़ता चला जा रहा था। जिसकी वजह से डॉक्टरों ने डायलिसिस और ट्रांसप्लांट लेने को बोल दिया था।
दुनिया भर में अधिक से अधिक लोग किडनी की समस्याओं से ग्रस्त हैं। इनमें से अधिकतर लोग मध्यम या बुढापे की उम्र में हैं जो पहले से ही मधुमेह और उच्च रक्तचाप जैसी समस्याओं से पीड़ित हैं। उन लोगों के बीच किडनी की समस्याएं भी आम हैं
हमारे लिए भोजन करना अति आवश्यक है। जीव न केवल जीवित रहने के लिए बल्कि स्वस्थ और सक्रिय जीवन बिताने के लिए भोजन करते हैं। भोजन में अनेक पोषक तत्व होते हैं जो शरीर का विकास करते हैं
भारत में जीवनशैली के बढ़ने के बाद से ही अनेक बिमारियों ने अपने पैर भारत में पसारने शुरू कर दिए है। बीते कई वर्षों में हमारे लाइफस्टाइल में एक बड़ा बदलाव आया है। जिसका सीधा बुरा असर हमारे स्वास्थ पर पड़ा है।
क्रैनबेरी को हिंदी में करौंदा कहा जाता है। क्रैनबेरी का वैज्ञानिक नाम वैक्सीनियम मैक्रोकारन (Vaccinium Macrocarpon) होता है। यह एक छोटा सा फल होता है। जो खाने में खट्टा और पूरी तरह से पक जाने के बाद मीठा हो जाता है।
श्रीमति रोशन ठाकुर जो सीतामढ़ी, बिहार की निवासी है। रोशन बीते काफी समय से किडनी फेल्योर की जानलेवा बीमारी समय से जूझ रही थी। उनकी किडनी ख़राब होने के कारण उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था।
लगभग टमाटर की तरह दिखाई देने वाला एक फल है "आलूबुख़ार"। अपने महरून राग के कारण यह टमाटर की भांति दिखाई देता है। खाने में स्वादिष्ट खट्टा- मीठा लगने वाला यह रेशेदार फल एक मौसमी फल है,
रोगी का नाम पूर्ण नारायण हैं जो काठमांडू, नेपाल के रहने वाले हैं। वह किडनी फेल्योर की समस्या से पीड़ित थे उन्हें उस समस्या में काफी परेशानियों और दर्द का सामना करना पड़ रहा था। इस समस्या से उनकी गंभीर हालत हो गई थी।
गोखरू एक ऐसी जड़ी-बूटी है जो स्वास्थ्य के लिए उपयोगी हैं। इसका वैज्ञानिक नाम ट्रिबुलस टेरेस्ट्रिस हैं। गोखरू का इस्तेमाल प्राचीन काल से ही कई बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता हैं।
पेशेंट का नाम रमा देवी हैं जिसे किडनी फेल्योर की समस्या थी। रोगी को इस बीमारी में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था और डॉक्टरों ने भी डायलिसिस के लिए बोल दिया था। तब यूट्यूब के माध्यम से कर्मा आयुर्वेदा के बारे में पता चला कि यहां डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट के बिना इलाज किया जाता हैं। तब रोगी ने तुरंत उपचार कर दिया।
हम सभी जानते है कि किडनी हमारे शरीर के अधिक पानी, नमक और अपशिष्ट तत्वों को पेशाब के जरिए शरीर से बहार निकाल देती है। जिसके कारण हमारा शरीर अपने संतुलन में बना रहता है और सभी अंग सुचारु रूप से अपना काम करते रहते है।
एक मनुष्य भोजन किए बिना हफ़्तों तक जीवित रह सकता है। इस दौरान वह मनुष्य के शरीर में काफी मात्रा में कमजोरी जरूर देखी जा सकती है, लेकिन मनुष्य की मृत्यु नहीं होगी।
हम सभी को ज्ञात है कि किडनी हमारे शरीर के लिए बहुत महत्वपूर्ण अंग है। स्वस्थ किडनी अपने सारे काम ठीक तरीके से करती है। जिससे हमारे शरीर को भी किसी प्रकार की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता।
पेशाब में किसी भी प्रकार के बदलाव हमें कई बड़ी बीमारियों के संकेत देते है। अगर आपको बार-बार पेशाब आने का एहसास होना मगर करने पर पेशाब का न आना भी किडनी फेल का लक्षण है।
आज का हमारा जीवन किसी प्रतियोगिता से कम नहीं है। हर कोई किसी ना किसी से आगे निकलने के लिए अघोषित प्रतियोगिता में लगा हुआ है। इस अघोषित प्रतियोगिता में विजय पाने के लिए हम और आप अपनी हर संभव कोशिश करते है।
गी का नाम राजेश शर्मा है, जो की राणासेर गावं, चूरू, राजस्थान के रहने वाले है। राजेश शर्मा काफी समय से किडनी फेल्योर की गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे । उनकी हालत इतनी ख़राब थी उन्हें गुजरात के एक अस्पातल में भर्ती तक करना पड़ गया था।
हम सभी इस बात से भलीभातिं वाकिफ है की किडनी हमारे शरीर का वो महत्वपूर्ण अंग है जिसके बिना शरीर का बाकि कोई भी अंग ठीक से काम नहीं कर सकता।
रोगी श्रीमती रीना देवी रांची, झारखण्ड की रहने वाली है। रीना देवी किडनी फेल्योर की गंभीर बीमारी से जूझ रही थी। किडनी फेल्योर के कारण इनकी हालत बहुत पीड़ादायक हो चली थी। उनकी दोनों ही किडनिया बिलकुल खराब हो चुकी थी।
हमारा शरीर ईश्वर द्वारा बनाया गई एक ऐसी नायब चीज़ है जो कुदरत की बाकी सभी चीज़ों से हमें अलग बनाती है। हमारे शरीर की संरचना बहुत जटिल है। हमारा शरीर कई अंगों के जोड़ से काम करता है।
रोगी आशीष सिंह जो की हैदराबाद के रहने वाले है। वह गंभीर रूप से किडनी फेल्योर की बीमारी जूझ रहे थे। उनके शरीर के कई हिस्सों में सूजन आ गयी थी, जैसे कमर के निचले हिस्से में। वह लगभग दूसरों पर आश्रित होते जा रहे थे।
हमारे शरीर के लिए प्रोटीन बहुत जरूरी होता है। यह शरीर में बनने वाली कोशिकाओं के निर्माण में एक अहम भूमिका निभाता है। प्रोटीन बच्चे, बूढ़े और जवान हर उम्र वर्ग के लिए जरूरी है।
कर्मा आयुर्वेदा आयुर्वेदिक दवाओं और उपचार किडनी रोगियों के लिए काफी फायदेमंद साबित हुआ हैं। आयुर्वेद प्राकृतिक की जड़ी-बूटियों और तकनीकों के उपयोग के साथ सभी प्रकार की शारीरिक बीमारियों के इलाज के लिए एक प्राचीन प्रथा माना जाता हैं।
आजकल की लाइफस्टाइल के बदलाव की वजह से और खानपान की गलत आदतों की वजह से किडनी रोगियों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही हैं। हर साल लगभग साढ़े आठ लाख लोग किडनी रोगों की वजह के कारण मर जाते हैं।
वर्धा में किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक उपचार, किडनी डिजीज के लक्षण उस वक्त उभकर सामने आते हैं। जब किडनी 60 से 65 प्रतिशत डैमेज हो चुकी होती हैं इसलिए इसे साइलेंट किलर भी कहा जाता हैं,
परभनी में किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक उपचार, किडनी की बीमारी अंतिम स्टेज में पहुंच जाए यानी वह काम करना बंद कर दे तो डायलिसिस और ट्रांसप्लांट जैसे इलाज बेहद महंगे होते हैं।
जिसमें किडनी रोगियों का इलाज किया जाता हैं। आयुर्वेदिक दवाओं से रोग जड़ से खत्म हो जाते हैं। साथ ही आयुर्वेदिक दवाओं में वरूण, कासनी, गोखुर पुनर्नवा और शिरीष जैसी जड़ी-बूटियां शामिल हैं
हर साल किडनी की बीमारी के चलते लाखों लोग अपनी जान गंवा बैठते हैं, लेकिन सबसे खतरनाक बात ये है कि अधिकतर लोगों को इसकी जानकारी तब होती हैं जब बहुत देर हो चुकी होती हैं। किडनी की बीमारी की बीमारी के लक्षण उस वक्त उभरकर सामने आते हैं
पेशेंट कल्पना पटेल जो इलाहाबाद उत्तर प्रदेश की रहने वाली हैं। वह किडनी की समस्या से जूझ रही थी। रोगी को किडनी रोग से काफी दर्द का सामना करना पड़ रहा था। वह हफ्ते में तीन बार डायलिसिस लिया करती थी।
झालावाड़ में किडनी फेल्योर का आयुर्वेदिक उपचार, रक्त में क्रिएटिनिन और पेशाब की मात्रा की जांच से किडनी की कार्यक्षमता की जानकारी मिलती हैं, क्योंकि किडनी की कार्यक्षमता शरीर का आवश्यकता से अधिक होती हैं
रोगी का नाम नरेश कुमार हैं जो गुरूग्राम के रहने वाले हैं। वह किडनी रोग से पीड़ित थे। जिससे रोगी का क्रिएटिनिन लेवल बढ़ता जा रहा था और प्रोटीनुरिया भी अधिक मात्रा में पास हो रहा थी। इस बीमारी में उन्हें और भी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था।
मरीज़ का नाम सावित्री देवी है और दिल्ली पटेल नगर की रहने वाली है। वह किडनी की बीमारी से जूझ रही थी और रोगी का क्रिएटिनिन बढ़ता चला जा रहा था। इसके साथ मरीज सावित्री देवी को किडनी की समस्या से काफी दर्द और परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था।
मरीज का नाम अविनाश कुमार है जो उत्तराखंड के रहने वाली हैं। वह किडनी रोग के शुरूआती लक्षणों से जूझ रहे थे। रोगी का यूरिया और क्रिएटिनिन का स्तर दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा था और उन्हें इस रोग में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था
रोगी का नाम रोहित है जो गाजियाबाद के रहने वाले हैं। रोहित किडनी की समस्या से काफी परेशान थे और उन्हें हफ्ते में 2 बार दर्द भरे डायलिसिस से गुज़रना पड़ता था। डायलिसिस लेने के बाद रोगी के शरीर में कमजोरी महसूस आ गई थी।
रोगी का नाम कृष्णा दियो पाठक है वह झारखंड के रहने वाले हैं। जो किडनी की बीमारी के दर्द से जूझ रहे थे। रोगी को की हालत बिल्कुल खराब हो गई थी जिससे डॉक्टर ने उन्हें लेने के लिए बोल दिया था और वह हफ्ते में दो बार डायलिसिस भी लिया करते थे।
मरीज का नाम अनिता कुमारी है वह जनकपुरी की रहने वाली हैं। अनिता किडनी की बीमारी से काफी दर्द से जूझ रही थी। डॉक्टर ने उन्हें डायलिसिस के लिया बोल दिया था। रोगी को इस बीमारी में बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था।
रोगी का नाम महाराज सिंह है वह कोटा राजस्थान से आए हैं। ये किडनी रोग की समस्या से जूझ रहे थे। रोगी ने एलोपैथी से जांच करवाई तब रोगी ने बताया कि, एलोपैथी डॉक्टर का कहना था कि ये किडनी ठीक नहीं हो सकती है
मरीज पशुपति प्रसाद जी, जो बलिया के रहने वाले हैं। वह काफी लंबे समय से किडनी बीमारी से जूझ रहे थे। रोगी प्रसाद जी को डॉक्टर ने डायलिसिस की सलाह दे दी थी, लेकिन कर्मा आयुर्वेदा के बारे में पता चलते ही रोगी ने तुरंत उपचार शुरू कर दिया
रोगी का नाम गोविंद दास है जो असम के रहने वाले हैं। वह किडनी रोग से पीड़ित थे और डॉक्टर ने उन्हें डायलिसिस लेने के लिए बोल दिया गया था। इसके अलावा रोगी को किडनी की बीमारी की वजह से इन दिक्कतों का सामना करना पड़ता था।
रोगी का नाम प्रताप शंकर है जो लखनऊ से आए हैं। वह किडनी समस्या से जूझ रहे थे। बहुत-सी दवा लेने के बाद भी रोगी में सुधार नहीं आया और डॉक्टर ने भी उन्हें डायलिसिस का सुझाव दे दिया था
रोगी का नाम लक्ष्मी है जो जलंधर की रहने वाली है। वह किडनी रोग से जूझ रही थी और कई महीनों तक इलाज करवाने के बाद भी उनमें सुधार नहीं आ रहा था। मरीज का क्रिएटीनिन दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा था।
रोगी का नाम एल.आर राय है जो उत्तराखंड से आए हैं। वह किडनी की खतरनाक बीमारियों का सामना कर रहे थे। साथ ही एलोपैथी डॉक्टर ने उन्हें डायलिसिस लेने का सुझाव भी दे दिया था।
रोगी का नाम श्री होरी लाल है जो इलाहाबाद से हैं। वह किडनी की बीमारी से जूझ रहे थे। कर्मा आयुर्वेदा की वीडियो में रोगी के बेटे ने विस्तार से बताया कि कैसे उनके पिता मधुमेह, उच्च रक्तचाप, एडिमा इत्यादि जैसी स्वास्थ्य जटिलताओं से जुझ रहे थे और डायलिसिस के बिना इसका इलाज मुश्किल था, लेकिन कर्मा आयुर्वेदा ने आयुर्वेदिक उपचार से ये कर दिखाया।
रोगी का नाम बागरू दास है जो देहरादून के रहने वाले है। वह काफी समय से किडनी समस्या से पीड़ित थे। इस वीडियो में रोगी का बेटा बताता है कि उनके पिता को चलने और उठने-बैठने में काफी परेशानी होती थी और इसके साथ ही उन्हें बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था।
किडनी शरीर का महत्वपूर्ण अंग हैं। इनमें खराबी आने से जिंदगी जीना मुश्किल हो जाता हैं, लेकिन आयुर्वेदिक दवाओं के द्वारा ही प्रगति के कारण अब किडनी फेल्योर के मरीज भी सामान्य जिंदगी जी सकते हैं।
किडनी जब सही ढंग से काम नहीं करती है तब ऐसे में विषैले पदार्थों जैसे क्रिएटिनिन और यूरिया, शरीर से बाहर नहीं निकल पाते हैं। विषैले पदार्थ जब मनुष्य के शरीर बढ़ जाता है, जिंदगी बचाने के लिए डायलिसिस की आवश्यकता पड़ती है।
किडनी दर्द में तुरंत कारण की पहचान करना मुश्किल है, क्योंकि दर्द विभिन्न प्रकार के रोगों से जुड़ा हो सकता है। इसलिए दर्द, वर्टेब्रोजेनिक रोग विज्ञान, आंतों की बीमारी, पित्ताशय की बीमारी के रोग से जुड़ा हो सकता है
क्रोनिक किडनी रोग चरण 5, क्रोनिक किडनी डिजीज में दोनों किडनी को खराब होने में महीनों से सालों तक का समय लगता है इसकी शरुआत में दोनों किडनी की कार्यक्षमता में अधिक कमी न होने के कारण कोई लक्षण नहीं दिखाई देते हैं
किडनी के रोगों में क्रोनिक किडनी डिजीज एक गंभीर रोग है। डायबिटीज, उच्च रक्तचाप, पथरी इत्यादि रोगों की बढ़ती संख्या इसके लिए मुख्य रूप जिम्मेदार है। साथ ही क्रोनिक किडनी डिजीज की परिभाषा नीचे दी गई है।
क्रिएटिनिन कम करने के प्रमुख उपाय, क्रियेटिन एक मेटाबॉलिक पदार्थ है, जो आहार को एनर्जी में बदलने के लिए सहायता देते समय टूट कर क्रिएटिनिन (एक वेस्ट पदार्थ होता है) में बदल जाता है।
कभी-कभी ये दर्द पेट के नीचे जा सकता है। हर व्यक्ति के लक्षण और संकेत विभिन्न रूप से विकसित होते हैं। “क्या किडनी की समस्या पेट में सूजन के कारण हो सकती है?”
जो पेशाब के रास्ते से शरीर की गंदगी बाहर निकालने में मदद करती है। हर किसी को किडनी मजबूत करने के उपाय के बारे में सोचना चाहिए। तो चलिए जानते हैं कैसे रखें किडनी को मजबूत।
किडनी सिस्ट एक अपेक्षाकृत आम स्वास्थ्य समस्या है जो कई मामलों में सिस्ट किसी भी जटिलताओं का कारण नहीं बनेंगे। किडनी सिस्ट राइड तरल से भरे हुए कोशिकाएं है जो किडनी में बनती है।
किडनी हमारे खून से नमक और शरीर में बैक्टीरिया को फिल्टर करता है। लेकिन जब किडनी में नमक का संचय हो जाता है तो फिर उपचार की जरूरत होती है। किडनी में विषाक्त पदार्थ जमा हो जाते हैं
किडनी रोग में पोलिसिस्टिक किडनी डिसीज सबसे ज्यादा पाए जाने वाला रोग है इस रोग का मुख्य असर किडनी पर होता है। दोनों किडनियों में बड़ी संख्या में सिस्ट (पानी भरा बुलबुला) जैसी रचना बन जाती है।
किडनी के कई रोग बहुत गंभीर होते है और यदि इनका समय पर इलाज नहीं किया जाए तो उपचार असरकारक नहीं होता है। बड़े देशों में उच्च लगत, संभावित समस्याओं और उपलब्धता की कमी के कारण किडनी फेल्योर से पीड़ित सिर्फ 5-10% मरीज ही डायलिसिस और किडनी प्रत्यारोपण का उपचार करवा पाते हैं।
किडनी फेल्योर के लिए पुणे के बेस्ट डॉक्टर और अस्पताल, उन्होंने केवल भारत के मरीज ही नहीं बल्कि दुनिया भर में किडनी से पीड़ित मरीजों को ठीक किया है। आयुर्वेद में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता है।
किडनी फेल्योर के लिए पटना के बेस्ट डॉक्टर और अस्पताल, ब्लड प्रेशर किडनी फेल होने का सबसे बड़ा कारण हैं, इसलिए नियमित रूप से ब्लड, युरिन की जांच करवाते रहना आवश्यक हैं।
किडनी फेल्योर उपचार के लिए नासिक के बेस्ट डॉक्टर और अस्पताल, वे पूर्ण हर्बल और प्राकृतिक उपचार दवाओं का उपयोग करते हैं जिसमें कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है।
किडनी फेल्योर उपचार के लिए हावड़ा के बेस्ट डॉक्टर और अस्पताल, साथ ही कर्मा आयुर्वेदा में भी किडनी रोगियों का आयुर्वेदिक इलाज किया
किडनी फेल्योर उपचार के लिए हैदराबाद के बेस्ट डॉक्टर और अस्पताल, किडनी डिजीज के लक्षण केवल तब दिखाई देते हैं जब बीमारी बढ़ती है। एक बार जब किडनी गंभीर रूप से खराब हो जाती है तो वे अपने आप में संकेत होती है
किडनी फेल्योर उपचार के लिए सूरत के बेस्ट डॉक्टर और अस्पताल, जो देश-विदेशों में किडनी मरीजों का इलाज करते आ रहे है और उन किडनी रोगियों को डाइट चार्ट की भी सलाह देते हैं।
किडनी फेल्योर उपचार के लिए सिलीगुड़ी के बेस्ट डॉक्टर और अस्पताल - कर्मा आयुर्वेदा, किडनी में होने वाले सफाई सिस्टम के कारण हमारे शरीर मे हानिकारक तत्व पेशाब के साथ बाहर निकल जाते हैं।
किडनी फेल्योर उपचार के लिए सहारनपुर के बेस्ट डॉक्टर और अस्पताल, कर्मा आयुर्वेदा कई सालों से आयुर्वेदिक दवाओं के साथ किडनी रोगियों का इलाज कर रहा है।
किडनी फेल्योर उपचार के लिए सलेम का बेस्ट डॉक्टर और अस्पताल, ये 100% नेचुरल है और इन आयुर्वेदिक दवाओं से कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है। ये एकदम प्राकृतिक इलाज है।
किडनी फेल होने का मतलब होता है कि किडनी के काम करने के दर 15% से कम हो गई है। किडनी फेल होने के कुछ दिन पहले बॉडी कुछ संकेत देने लगते हैं। उन्हें हमें अनदेखा नहीं करना चाहिए।
आयुर्वेदिक उपचार तन-मन और आत्मा के बीच संतुलन बनाए रखता है स्वास्थ्य में सुधार करता है। आयुर्वेद में न केवल उपचार करता है बल्कि ये जीवन जीने का ऐसा तरीका सिखाता है जिसमें जीवन लंबा और खुशहाल होता है।
किडनी खराब होना या जिसे हम किडनी फेल्योर भी कहते हैं। जब आपके किडनी रक्त से अपशिष्ट उत्पादों को फिल्टर करना अचानक बंद कर देती है। तब किडनी की रक्त छानने की क्षमता नष्ट हो जाती है।
किडनी फेल्योर के लिए कर्नाटक के बेस्ट आयुर्वेदिक डॉक्टर में से एक हैं डॉ. पुनीत धवन। कर्मा आयुर्वेदा एशिया के सबसे अच्छे स्वास्थ्य क्लिनिक के प्रमुख है।
कर्मा आयुर्वेदा अस्पताल देश-विदेशो में भी किडनी रोगियों का इलाज करते आ रहे हैं। कर्मा आयुर्वेदा अस्पताल और डॉक्टर पुनीत धवन वडोदरा के जाने माने डॉक्टर में आते हैं। “किडनी फेल्योर उपचार के लिए वडोदरा के बेस्ट डॉक्टर और अस्पताल”
आयुर्वेदिक प्राकृतिक जड़ी-बूटियों और तकनीकों के उपयोग के साथ सभी प्रकार की शारीरिक बीमारियों के इलाज के लिए एक प्राचीन प्रथा माना जाता हैं। आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां किडनी को मजबूत बनाती है।
भारत और एशिया के प्रसिद्ध किडनी उपचार केंद्रो में से एक हैं कर्मा आयुर्वेदा। ये 1937 में स्थापित किया गया था और इस अस्पताल के नेतृत्व में डॉ. पुनीत धवन है। जो आयुर्वेदिक उपचार की सहायता से रोग को खत्म करते हैं।
दिल्ली के बेस्ट किडनी उपचार केंद्रों में से एक हैं कर्मा आयुर्वेदा। जो 1937 में स्थापित किया गया था और इसके नेतृत्व में डॉ. पुनीत धवन। कर्मा आयुर्वेदा अस्पताल में सिर्फ आयुर्वेदिक दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है।
रोगी का नाम माया है जो बैंकॉक में रहती है। वह काफी लंबे समय से किडनी समस्या से पीड़ित थी। इस वीडियो में माया के रिश्तेदार बताते हैं कि, रोगी इस बीमारी में काफी दर्द सामना कर रही थी और उन्होंने अपने स्वस्थ जीवन जीने की उम्मीद भी खो दी थी। रोगी को किडनी रोग में इस समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था।
रोगी का नाम देवेंद्र सिंह है जो नोएडा से आए हैं। वह अपने बुढ़ापे में है और लंबे समय से किडनी की समस्या से पीड़ित है। उन्होंने एलोपैथी इलाज भी करवाया, लेकिन उनकी हालत में कोई सुधार नहीं आया।
कर्मा आयुर्वेदा भारत के बेस्ट किडनी उपचार केंद्र में आता है। ये 1937 में धवन परिवार द्वारा स्थापित किया गया था और आज इसके नेतृत्व में डॉ. पुनीत धवन है। जो 30 हजार से भी ज्यादा मरीजों का इलाज कर चुके हैं।
रोगी का नाम श्री श्याम सुंदर सोहिनी है जो गोंडा जिला उत्तर प्रदेश से आएं हैं। वह शुगर की समस्या के साथ-साथ वह किडनी फेल्योर से भी पीड़ित थे और उच्च शुगर के कारण काफी लंबे समय से इंसुलिन ले रहे थे।
आज इस अस्पताल के नेतृत्व में डॉ. पुनीत धवन है। वह हर साल हजारों किडनी रोगियों का इलाज करते हैं। डॉ. पुनीत डायलिसिस और किडनी प्रत्यारोपण सलाह दिए बिना किडनी के रोग को ठीक करते हैं।
किडनी में होने वाले इंफेक्शन की जानकारी इसके पहले स्टेज में नहीं हो पाती है। कई बार ऐसा होता है कि जब तक हमें इसका पता चलता है। तब तक बहुत देर हो चुकी होती है, इसलिए हम आपको इसके कुछ सिम्पटम्स बताने जा रहे हैं
ज्यादा उम्र के लोगों में होने वाली हाई ब्लड प्रेशर की समस्या अब स्कूली बच्चों में देखने को मिल रही है। हाई बीपी के दौरान मरीज के शरीर में रक्त का प्रवाह अधिक तेज हो जाता है जिससे ह्रदय पर अधिक दबाव पड़ता है। साथ ही ये किडनी रोग के लक्षण भी हो सकते हैं।
किडनी शरीर में संतुलन बनाए रखने के कई कार्यों का निष्पादन करती हैं। वे अपशिष्ट उत्पादों को फिल्टर करके पेशाब से बाहर निकालती हैं और निष्कासन करते हैं। वे शरीर में पानी की मात्रा, सोडियम, पोटेशियम और कैल्शियम की मात्रा को संतुलित करती है।
यूरिन इंफेक्शन एक गंभीर बीमारी है। अगर यूरिन में इंफेक्शन होता है तो सबसे पहले असर किडनी पर होता है। जब किडनी ठीक से काम नहीं कर पाती है तो क्रोनिक किडनी की बीमारी हो सकती है।
दिल्ली के बेस्ट किडनी उपचार केंद्रो में से एक है कर्मा आयुर्वेदा और आज इस अस्पताल को 5 पीढी यानी डॉ. पुनीत धवन चला रहे हैं। ये 1937 में स्थापित किया गया था। कर्मा आयुर्वेदा में आयुर्वेदिक प्राकृतिक जड़ी-बूटियों के साथ इलाज किया जाता है।
शरीर में किडनी का मुख्य कार्य शुद्धिकरण का होता है, लेकिन शरीर में किसी रोग की वजह से जब दोनों किडनी अपना सामान्य कार्य करने में अक्षम हो जाती है तो इस स्थिति को हम किडनी फेल्योर कहते हैं।
दिल्ली का प्रसिद्ध किडनी फेल्योर अस्पताल में से एक कर्मा आयुर्वेदा। जिसके नेतृत्व में डॉ. पुनीत धवन है और कर्मा आयुर्वेदा 1937 में धवन परिवार द्वारा ही स्थापित किया गया था। आज उनकी ये 5वीं पीढी है।
किडनी की समस्या के लिए खासतौर पर दूषित खानपान और वातावरण जिम्मेदार माना जाता है। बहुत बार किडनी में परेशानी का कारण एंटीबायोटिक दवाओं का ज्यादा सेवन भी होता है।
किडनी मानव शरीर के निचले हिस्से में स्थित बीन्स के आकार में दो अंग है। पेशाब की प्रक्रिया के दौरान शरीर से बेकार तत्वों को खत्म करने के लिए किडनी जिम्मेदार होती है। किडनी फल्योर वो स्थति है
किडनी फिल्टर करने और अपशिष्ट उत्पादों को निकालने और इलेक्ट्रोलाइट संतुलन को बनाए रखने की क्षमता में कमी को किडनी फेल्योर कहते हैं। रक्त में क्रिएटिनिन और रक्त यूरिया नाइट्रोजन की मात्रा में वृद्धि का तात्पर्य किडनी की खराबी से होता है।
रोगी का नाम हुवेदा खान है जो 38 साल की हैं। वह क्रोनिक किडनी डिजीज से पीड़ित थी और इस वजह से रोगी काफी परेशानियों का सामना कर रही थी जैसे-
आयुर्वेदिक चिकित्सा शरीर, तन-मन और आत्मा का एक प्राचीन विज्ञान है, जो आयुर्वेद का उपयोग जड़ी-बूटियों और पूर्व-ऐतिहासिक तकनीकों के साथ किया जाता हैं। आयुर्वेदिक प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का उपयोग करके मन, शरीर और आत्मा का इलाद करते हैं।
यहां आयुर्वेदिक, हर्बल और प्राकृतिक दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है। जिसके नेतृत्व में डॉ. पुनीत धवन है। डॉ. पुनीत धवन 30 हजार से भी ज्यादा मरीजों का इलाज कर चुके हैं वो भी डायलिसिस और प्रत्यारोपण की सलाह दिए बिना।
मानव शरीर में किडनी का मुख्य कार्य रक्त को शुद्धिकरण करना है। जब बीमारी के कारण दोनों किडनी अपनी सामान्य कार्य नहीं कर सके तो किडनी की कार्यक्षमता कम हो जाती है। जिसे हम किडनी फेल्योर भी कहते हैं।
ज्यादातर लोग किडनी रोग के लिए एलोपैथी इलाज करवाते हैं, लेकिन तब एलोपैथी डॉक्टर्स डायलिसिस या किडनी प्रत्यारोपण की सलाह दे देते हैं। आयुर्वेद में डायलिसिस और प्रत्यारोपण बिना ठीक हो सकती है।
किडनी शरीर में संतुलन बनाए रखने के कई कार्यों का निष्पादन करती है। वे अपशिष्ट उत्पादों को फिल्टर करके पेशाब द्वारा बाहर निकालता है। किडनी शरीर में पानी की मात्रा, सोडियम, पोटेशियम और कैल्शियम की मात्रा को संतुलित करती है।
भारत के साथ-साथ एशिया के प्रसिद्ध किडनी उपचार केंद्रो में से एक कर्मा आयुर्वेदा। जो 1937 में धवन परिवार द्वारा स्थापित किया गया था। आज इसके नेतृत्व में डॉ. पुनीत धवन है।
भारत का प्रसिद्ध किडनी उपचार केंद्र कर्मा आयुर्वेदा। यहां आयुर्वेदिक प्राकृतिक जड़ी-बूटियों वाली दवाओं से किडनी फेल्योर रोगियों का इलाज किया जाता हैं। कर्मा आयुर्वेदा 1937 में धवन परिवार द्वारा स्थापित किया गया था।
भारत का प्रसिद्ध किडनी उपचार केंद्र कर्मा आयुर्वेदा जो 1937 में धवन परिवार द्वारा स्थापित किया गया था। आज इस अस्पताल के नेतृत्व में डॉ. पुनीत धवन है। डॉ. पुनीत 30 हजार से भी ज्यादा मरीजों का इलाज करके उन्हें रोग मुक्त किया है।
भारत के प्रसिद्ध किडनी उपचार केंद्रो में से हैं कर्मा आयुर्वेदा। ये 1937 में स्थापित किया गया था और इसके नेतृत्व में डॉ. पुनीत धवन है। कर्मा आयुर्वेदा में आयुर्वेदिक उपचार के साथ इलाज किया जाता है
रोगी का नाम परमजीत सिंह भाटिया है जो हरिनगर घंटाघर से हैं। वह लंबे समय से किडनी की समस्याओं से जूझ रहे थे और डॉक्टरों ने उन्हें डायलिसिस और एंजियोग्राफी का सुझाव दिया, क्योंकि रोगी की हालत बेहद गंभीर हो गई थी
रोगी का नाम सुधीर कुमार वर्मा है जो वाराणसी से है। वह किडनी रोग से पीड़ित थे और सभी डॉक्टर ने उन्हें फिस्टुला डालने और डायलिसिस का सुझाव दिया। जब रोगी को कर्मा आयुर्वेदा के बारे में पता चला तो उन्होंने तुरंत आयुर्वेदिक उपचार शुरू किया।
आयुर्वेदिक उपचार किडनी की क्षति को खत्म करने में बहुत प्रभावी है, लेकिन ये अकेले काम नहीं कर सकता है रोगी को सर्वोत्तम परिणामों के लिए दवाओं के साथ किडनी आहार का पालन करना होता है।
किडनी शरीर के महत्वपूर्ण हिस्सा है। किडनी में खराबी आने से जिंदगी जीना मुश्किल हो जाता है, लेकिन आयुर्वेदिक किडनी उपचार से इसे ठीक किया जा सकता है। आजकल किडनी फेल्योर के मरीजों में बेतहाशा वृद्धि हो रही है।
कर्मा आयुर्वेदा नई दिल्ली में 1937 में धवन परिवार द्वारा स्थापित किया गया था और अब इसकी संख्या में वृद्धि होती जा रही है। आज डॉ. पुनीत धवन इसके नेतृत्व में हैं। साथ ही डॉ. पुनीत 30 हजार किडनी मरीजों को ठीक करके उन्हें रोग मुक्त किया है। वह सिर्फ और सिर्फ आयुर्वेदिक उपचार पर विश्वास करते हैं।
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रोगी का नाम विकास पांडे है ये बिहार से आए हैं। वह लंबे समय क्रोनिक किडनी से पीड़ित थे। उन्होंने एलोपैथिक उपचार भी करवाया, लेकिन उनकी स्थिति में कोई सुधार नहीं आया। रोगी में किडनी की बीमारी से होने वाले लक्षण।
किडनी फेल होने का सबसे बड़ा कारण है ब्लड प्रेशर, इसलिए समय के साथ-साथ ब्लड और यूरिन की जांच करवाते रहना चाहिए। साथ ही शुगर और ब्लड प्रेशर के मरीजों को तो नियमित स्क्रीनिंग में रहना अति आवश्यक हैं।
किडनी फेल्योर उपचार के लिए चंडीगढ़ के बेस्ट डॉक्टर और अस्पताल, किडनी फेल्योर के लिए कोई इलाज नहीं है, लेकिन उपचार के साथ लंबा जीवन जीना संभव है। किडनी फेल्योर होने से और सही इलाज न मिलने से इंसान की मौत भी हो सकती है।
किडनी फेल्योर उपचार के लिए ग्वालियर के बेस्ट डॉक्टर और अस्पताल: विशेषज्ञ देखभाल, उन्नत तकनीक, और उत्कृष्ट परिणाम। अपना स्वास्थ्य सुरक्षित करें।
किडनी फेल्योर उपचार के लिए गोरखपुर के बेस्य डॉक्टर और अस्पताल, किडनी फेल्योर उपचार के लिए गोरखपुर के बेहतरीन डॉक्टर और अस्पताल, पेशेवर देखभाल और नवीनतम तकनीक के साथ प्रभावी समाधान। स्वास्थ्य की ओर एक कदम।
रोगी का नाम रत्न काजी है जो नेपाल से आए है और काफी लंबे समय से किडनी की समस्या से पीड़ित है। एलोपैथी दवाओं से उनके स्वास्थ्य में कोई सुधार नहीं आया। इसलिए रोगी ने आयुर्वेदिक उपचार शुरू किया।
मरीज़ का नाम दलजीत सिंह है जो पंजाब अमृतसर से आए है। वह क्रोनिक किडनी डिजीज से पीड़ित थे। उन्हें बहुत जगह से इलाज करवाया पर कोई आराम नहीं मिला। रोगी दलजीत सिंह ने अपने ठीक होने की सारी उम्मीद खो दी
रोगी श्रीमती राजेश्वरी पंत जो किडनी रोग से पीड़ित थी उन्हें क्रिएटिनिन और यूरिया को खत्म करने के लिए डॉक्टर ने किडनी प्रत्यारोपण का सुझाव दिया था। मरीज इस रोग की वजह से अपने बिस्तर पर से उठ नहीं पा रही थी
रोगी का नाम संजू लामा है जो नेपाल के काठमांडू से आए है। वह किडनी फेल्योर का सामना कर रहे थे। साथ ही इस रोग में मरीज़ के शरीर में कुछ इस तरह के लक्षण देखने को मिले।
गुवाहाटी में किडनी फेल्योर उपचार के लिए बेस्ट डॉक्टर और अस्पताल। उच्च गुणवत्ता की सेवाएं और विशेषज्ञ देखभाल प्राप्त करें
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किडनी फेल्योर उपचार के लिए कोयंबटूर के बेस्ट डॉक्टर और अस्पताल, किडनी फेल्योर उपचार के लिए कोयंबटूर के बेस्ट डॉक्टर और अस्पताल। उच्चतम गुणवत्ता की चिकित्सा सेवा और विशेषज्ञ देखभाल।
रोगी का नाम गुलजार लाल है और वह काफी लंबे समय से किडनी की बीमारी से पीड़ित थे। रोगी 5 महीने से डायलिसिस ले रहा था और एलोपैथी उपचार करवा रहा था जिसका कोई प्रभाव नहीं हो रहा था।
आयुर्वेदिक उपचार किडनी रोग के लिए सबसे ज्यादा फायदेमंद साबित हुआ है। दिल्ली के बेस्ट किडनी उपचार केंद्र कर्मा आयुर्वेदा ने ये कर दिखाया है। कर्मा आयुर्वेदा में 1937 से किडनी रोग से पीड़ित मरीजों का इलाज करते आ रहा है।
रोगी का नाम डॉ. केसीएस भाटी है जो ग्रेटर नोएडा में रहते हैं। वह नेफ्रोटिक सिंड्रोम से पीड़ित थे और उन्हें उच्च माइक्रोएल्ब्यूमिन की समस्या थी। इस रोग में मरीज़ को इन समस्याओं का समाना करना पड़ रहा था।
मरीज़ शैलेंद्र सिंह जो 53 साल के हैं। वह किडनी बीमारी के लास्ट स्टेज पर थे और हर दिन डायलिसिस लिया करते थे। रोगी ने अपनी जिंदगी जीने की उम्मीद खो दी थी। इस वीडियो में रोगी का बेटा बताता है
कर्मा आयुर्वेदा अस्पताल भारत के सबसे बेस्ट किडनी उपचार केंद्रो में से एक है। ये 1937 में स्थापित किया गया था और इस अस्पताल के नेतृत्व में डॉ. पुनीत धवन है वह हर साल हजारों किडनी रोगियों का इलाज करते आ रहे हैं।
किडनी फेल्योर के लिए आयुर्वेदिक दवाएं काफी फायदेमंद साबित हुई हैं। कर्मा आयुर्वेदा भारत के प्रसिद्ध अस्पताल में से एक हैं। जिसमें आयुर्वेदिक दवाओं से लाखों किडनी रोगियों का इलाज किया है। आयुर्वेदिक दवाएं 100% नेचुरल होती है
आप सब जानते हैं कि किडनी शरीर में अधिक पानी, नमक और अन्य क्षार को पेशाब द्वारा शरीर से बाहर निकालकर इन पदार्थो का संतुलन बनाने का महत्वपूर्ण कार्य करती है। किडनी रोग में ये नियंत्रण का कार्य ठीक तरह से नहीं होते है
कर्मा आयुर्वेदा में सिर्फ ओर सिर्फ आयुर्वेदिक उपचार पर भरोसा किया जाता है। आयुर्वेद से कोई दुष्प्रभाव नहीं होता। किडनी फेल्योर के लिए मुरादाबाद के बेस्ट आयुर्वेदिक डॉक्टर में से एक हैं डॉ. पुनीत धवन।
किडनी के कई रोग बहुत गंभीर होते हैं और अगर इनका समय पर इलाज नहीं किया जाए तो उपचार असरकारक नहीं होते है। बड़े-बड़े देशों में उच्च लागत, संभावित समस्याओं और उपलब्धता की कमी के कारण किडनी रोग से पीडित सिर्फ 5 – 10% मरीज ही डायलिसिस और किडनी प्रत्यारोपण का उपचार करवा पाते हैं।
शरीर में किडनी का मुख्य कार्य खून का शुद्धिकरण करना है। जब बीमारी के कारण दोनों किडनी अपना सामान्य कार्य नहीं कर सके तो तब किडनी की कार्यक्षमता कम हो जाती है और उसे हम किडनी फेल्योर ट्रीटमेंट कहते हैं।
किडनी फेल्योर किडनी-फेल्योर-ट्रीटमेंट की प्रथम अवस्था को समझने के लिए उसके लक्षणों के बारे में पता लगाना जरूरी होता है। किडनी के खराब होने के दूसरे लक्षण उसके 80% खराब होने के बाद नज़र आते हैं।
किडनी फेल्योर की समस्या लिए खासतौर पर दूषित खानपान और वातावरण जिम्मेदार माना जाता हैं। बहुत बार किडनी में परेशानी का कारण एंटीबायोटिक दवाओं का ज्यादा सेवन करना भी होता है। साथ ही मधुमेह रोगियों को किडनी की शिकायत आम लोगों की तुलना में ज्यादा होती हैं।
किडनी खराब होना, जिसे हम किडनी फेल्योर कहते है। किडनी रक्त से अपशिष्ट उत्पादों को फिल्टर करना अचानक बंद कर देते हैं। जब किडनी के रक्त छानने की क्षमता नष्ट हो जाती है
किडनी फेल्योर का एक प्रमुख कारण डायबिटीज के मरीजों की संख्या में भारी इजाफा होना है। हाई ब्लड प्रेशर, किडनी की छलनियों में संक्रमण, पथरी का बनना और दर्द निवारक दवाओं का अत्यधिक सेवन करना आदि भी इसके कारक है।
किडनी में दर्द आमतौर पर गहरी और उच्च होती है और पसलियों के नीचे स्थिक होती है, जबकि पीठ में आम चोट के साथ मांसपेशियों में दर्द कम होता है। किडनी में दर्द के कारण मुख्य रूप से मूत्र पथ के इंफेक्शन और किडनी की पथरी है
हर साल लाखों लोग किडनी की बीमारी से लड़ते हैं। ये कई प्रकार की बीमारियां है, लेकिन क्रोनिक किडनी रोग सबसे आम है जो हर साल उच्च दर पर बढ़ती जा रही है। किडनी रोग के कई स्टेजों से गुजरता है
किडनी फेल्योर के लिए कर्नाटक के बेस्ट आयुर्वेदिक डॉक्टर में से एक हैं डॉ. पुनीत धवन। कर्मा आयुर्वेदा एशिया के सबसे अच्छे स्वास्थ क्लिनिक के प्रमुख हैं। उन्होंने लाखों रोगियों को अपने आयुर्वेदिक दवाओं और प्रक्रियाओं के साथ ठीक किया जाता है
हर साल लाखों लोग किडनी फेल्योर के चलते अपनी जान गंवा बैठते है, लेकिन सबसे खतरनाक बात ये है कि ज्यादातर लोगों को इसकी जानकारी तब होती है जब बहुत देर हो चुकी हो। किडनी फेल्योर के लक्षण उस वक्त उभरकर सामने आते हैं, जब किडनी 60 से 65% डैमेज हो चुकी होती है।
किडनी खराब होने पर मरीज के स्वस्थ्य को नियंत्रण करने के लिए उसके आहार पर ध्यान देना बेहद जरूरी होता है। अगर रोगी ठीक तरह से अपने स्वास्थ्य के हिसाब से आहार लेते हैं, तो कम से कम औषधि में रोगी की हालत में सुधार लाया जा सकता है। तब आप डायलिसिस और किडनी प्रत्यारोपण से भी बच सकते हैं।
रोगी अचल सिंह जी, जोधपुर से आए हैं। जो किडनी फेल्योर से पीड़ित हैं। उन्हें ठीक से खाने-पीने और काम में परेशानी होती है। शरीर में कमजोरी की वजह से रोगी पर्याप्त रूप से काम करने में समक्ष नहीं हो पा रहे थे। डॉक्टर्स ने भी डायलिसिस की सलाह दे दी थी।
रोगी का नाम पूनम सिंह है जो राजस्थान से आई है। वह काफी लंबे समय से किडनी की समस्या से जूझ रही थी और अपनी इस बीमारी का समाधान चाहती थी।
आजकल की इस भाग दौड़ भरी जिंदगी में लोग अपनी बीमारियों के चलते काफी परेशान रहते हैं। जिसमें से एक है किडनी खराब होने के समस्या। जिसके बारे में कई बार लोगों को काफी समय के बाद पता चलता है, लेकिन ये कुछ ऐसे तरीके है जिनसे आप किडनी खराब होने के कारण का पता लगा सकते हैं।
किडन रोग में सबसे बड़ी समस्या ये है कि इसका जल्दी से पता नहीं चलता है, इसलिए किडनी खराब होने से पहले इन लक्षणों की पहचान करना बहुत जरूरी है। आप सब जानते हैं कि, हमारे शरीर में 2 किडनी होती है। जो एक मिनट में लगभग 125ml रक्त साफ करती है।
रोगी का नाम सरिता है और वह दिल्ली, मादीपुर से आई है। वह किडनी फेल्योर के साथ किडनी की पथरी से पीड़ित थी। सभी डॉक्टर्स में उन्हें किडनी प्रत्यारोपण की सलाह दी थी, क्योंकि उनकी हालत बिल्कुल खराब हो चुकी थी
किडनी हमारे शरीर में रक्त को फिल्टर करती है, हार्मोन बनाती है, जरूरी मिनर्लस को एब्सॉर्ब करती है, पेशाब बनाती है, किडनी जहरीले तत्वों को शरीर से बाहर निकालती है और एसिड के लेवल को कंट्रोल करती है।
मरीज़ दीप्ति बिष्ट हैं। वह किडनी फेल्योर से पीड़ित थी और एक हफ्ते में तीन बार डायलिसिस करवाती थी। उन्हें किडनी फेल्योर से जुड़े लक्षणों का सामना करना पड़ता था और फोर्टिस अस्पताल में उन्हें किडनी प्रत्यारोरपण की सलाह दी गई थी।
किडनी फेल्योर उपचार के लिए गाजियाबाद के बेस्ट डॉक्टर और अस्पताल, आयुर्वेद में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता है। जिससे हमारे शरीर में कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है।
रोगी इंद्रप्रकाश सिंह ने कर्मा आयुर्वेदा से इलाज करवाया। 2 महीने में ही उनके शरीर में सुधार आना शुरू हुआ और उनका क्रिएटिनिन लेवल 5mg/dl हो गया। इतना ही नहीं, वह डायलिसिस से भी मुक्त हो गए।
नई दिल्ली के प्रसिद्ध आयुर्वेदिक किडनी ट्रीटमेंट में से एक हैं कर्मा आयुर्वेदिक। जो 1937 में स्थापित किया गया था और आज इसके नेतृत्व में डॉ. पुनीत धवन है। डॉ. पुनीत ने हर साल हजारों किडनी रोगियों का इलाज करते हैं और मरीज के किडनी रोग को जड़ से खत्म करते है। वो भी डायलिसिस और किडनी प्रत्यारोपण के बिना।
रोगी का नाम नूरजहाँ है और वह आंध्र प्रदेश से आई है। नूरजहाँ किडनी डिजीज एडवांस स्टेज से पीड़ित थी। डॉक्टर्स ने उन्हें डायलिसिस का सुझाव दिया, क्योंकि दवाइयों के सेवन से कोई परिणाम सामने नहीं आया था।
रोगी रोशन कुमार, असम से जो किडनी की बीमारी से जूझ रहे थे। उन्हें अपनी बीमारी के साथ कई कठिनाईयों का सामना करना पड़ा रहा था। किडनी की बीमारी के सामान्य लक्षणों में से एक निचले अंगों में सूजन थी।
जब तक पीठ का दर्द असहनीय नहीं हो जाता तब तक लोग उसे गंभीरता से नहीं लेते, लेकिन डॉक्टर पुनीत धवन के अनुसार, पीठ के दर्द किडनी की समस्या का संकेत भी हो सकता है। अनावश्यक दवाओं के सेवन से कई बार किडनी क्षतिग्रस्त होकर इसमें इंफेक्शन हो सकता है।
किडनी शरीर में संतुलन बनाए रखने का कम करती है। वे अपशिष्ट उत्पादों को फिल्टर करके पेशाब से बाहर निकालती हैं और निष्कासन करती हैं। वे शरीर में पानी की मात्रा, सोडियम, पोटेशियम और कैल्शियम की मात्रा को संतुलित करती हैं। साथ ही अतिरिक्त अम्ल और क्षार निकालने में मदद करती है।
रोगी रजनी, शालीमार बाग मध्यम आयु में हैं और क्रोनिक किडनी डिजीज के उन्नत स्टेज से पीड़ित हैं। उसने कई स्थानों से एलोपैथी उपचार करवाया, लेकिन इसका सही परिणाम नहीं आया। तब डॉक्टर ने रोगी को एंटीबायोटिक्स देने के साथ डायलिसिस का सुझाव दिया है।
किडनी शरीर के महत्वपूर्ण अंग है जो विभिन्न उद्देश्यों को पूरा करते हैं। ये मुख्य अंग प्रणाली है जो रक्त से अतिरिक्त तरल पदार्थ और अपशिष्ट से छुटकारा पाने में एक महत्वपूर्ण स्थिति रखती है।
मरीज़ श्रीमती कविता शर्मा, देहरादून से जो काफी समय से किडनी फेल्योर से पीडित है। किडनी डिजीज का इलाज करने में कोई दवा या डायलिसिस काम नहीं आता है।
किडनी की सतह पर या किडनी के अंदर बढ़ने वाले एक पुटी को किडनी पुटी या किडनी की छाल के रूप में जाना जाता है। ये अल्सर द्रव से भरे हुए थैले के रूप में वर्णित किया जा सकता है जो किडनी को बढ़ा कर देता है। साथ ही इनके कार्य करने की क्षमता को कम कर देते है।
दिल्ली के प्रमुख किडनी सेंटर में से एक कर्मा आयुर्वेदा अस्पताल है। जो कानपुर से लखनऊ तक के किडनी रोगियों को ठिक किया है। साथ ही कर्मा आयुर्वेदा 1937 में धवन परिवार द्वारा स्थापित किया गया था।
जो डायलिसिस और किडनी प्रत्यारोपण के बिना किडनी रोगियों को ठीक करके रोग को जड़ से खत्म करते हैं। “किडनी फेल्योर उपचार के लिए पिंपरी और चिंचवड के बेस्ट डॉक्टर और अस्पताल”
किडनी की बीमारियों के लक्षण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भिन्न हो सकते हैं ये निर्भर करता हैं किडनी के अंतनिर्हित रोग और उसकी गंभीरता पर। इसलिए रोग के प्रारंभिक दोर में पता लगाना मुश्किल होता हैं।
किडनी की रचना एंव कार्य, किडनी शरीर का खून साफ करके पेशाब बनाती है। शरीर से पेशाब निकालने का कार्य मूत्रवाहिनी, मूत्राशय और मूत्रनलिका द्वारा होता है
नई दिल्ली के प्रसिद्ध किडनी उपचार केंद्रो में से एक हैं कर्मा आयुर्वेदा। जो देश-विदेश से आए किडनी रोगियों का इलाज करते हैं। जैसे महाराष्ट्र, ठाणे में भी कर्मा आयुर्वेदा बेहद प्रसिद्ध माना जाता है। साथ ही कर्मा आयुर्वेदा 1937 में स्थापित किया गया था और इसके नेतृत्व में डॉ. पुनीत धवन है। डॉ. पुनीत हर साल हजारो किडनी रोगियों का इलाज करते हैं। “किडनी फेल्योर उपचार के लिए ठाणे के बेस्ट डॉक्टर और अस्पताल”
हमारी किडनी शरीर में संतुलन बनाएं रखने के कई कार्यों का निष्पादन करती है। वे अपशिष्ट उत्पादों को फिल्टर करके पेशाब से बाहर निकालते है और निष्कासन करते है। वे शरीर में पानी की मात्रा, सोडियम, पोटेशियम और कैल्शियम की मात्रा को संतुलित करते हैं।
किडनी हमारे शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है। किडनी की खराबी, किसी गंभीर बीमारी या मौत का कारण भी बन सकता है। इसकी तुलना सुपर कंप्यूटर के साथ उचित है
किडनी उपचार केंद्र कर्मा आयुर्वेदा जो आयुर्वेदिक दवाओं से किडनी रोगियों इलाज करते आ रहे हैं। आयुर्वेदिक प्राकृतिक जड़ी-बूटियों और तकनीकों के उपयोग के साथ सभी प्रकार की शारीरिक बीमारियों के इलाज के लिए एक प्राचीन प्रथा माना जाता है।
पाइलोनेफ्राइटिस, जिसे आमतौर पर किडनी इंफेक्शन के रूप में माना जाता है, मूत्रमार्ग से किडनी से गुजरने वाले बैक्टीरिया के कारण पेशाब पथ इंफेक्शन का एक प्रकार है। साथ ही ये इंफेक्शन दोनों लिंगों के सदस्यों को प्रभावित कर सकता है
शरीर में किडनी का मुख्य कार्य शुद्धिकरण का होता है, लेकिन शरीर में किसी रोग की वजह से जब दोनों किडनी अपना कार्य करने में अक्षम हो जाती है तो तब इस स्थिति को किडनी फेल्योर कहते हैं।
एक्यूट किडनी फेल्योर तब होता है, जब आपकी किडनी रक्त से अपशिष्ट पदार्थों को फिल्टर करना अचानक से बंद कर देती है। जब किडनी की रक्त छानने की क्षमता खराब हो जाती है तो रक्त में अपशिष्ट पदार्थ खतरनाक स्तर पर जमा होने लगते हैं
जब बीमारी के कारण दोनों किडनी अपना सामान्य कार्य नहीं कर सके तो किडनी की कार्यक्षमता कम हो जाती है। जिसे हम किडनी फेल्योर कहते हैं। “किडनी फेल्योर उपचार के लिए चेन्नई के बेस्ट डॉक्टर और अस्पताल”
संपूर्ण रूप से कार्य करने वाली दोनों किडनी किसी कारणवश अचानक नुकसान से थोडे समय के लिए काम करना कम या बंद कर दे, तो उसे हम एक्यूट किडनी फेल्योर कहते हैं। साथ ही एक्यूट किडनी फेल्योर को एक्यूट किडनी इंजरी भी कहते हैं।
आजकल किडनी फेल्योर के मरीजों में बेतहाशा-वृद्धि हो रही है। देश में ही नहीं, बल्कि लगभग सभी देशों में किडनी फेल्योर के रोगियों की संख्या बढ़ जा रही हैं। “किडनी फेल्योर उपचार के लिए कोलकाता के बेस्ट डॉक्टर और अस्पताल”
यूरिन बनाने के अलावा ये शरीर में एसिड के लेवल को कंट्रोल करती है। किडनी की अहमियत को जानते हुए भी कई बार हम जाने-अंजाने में कई ऐसी आदतों को अपना लेते हैं जो किडनी के लिए घातक बन जाती है। “हानिकारक तत्वों से किडनी को नुकसान”
किडनी फेल्योर के लिए अहमदाबाद के आयुर्वेदिक डॉक्टर में से एक हैं डॉ. पुनीत धवन। ये एशिया के सबसे अच्छे स्वास्थ क्लिनिक कर्मा आयुर्वेदा के प्रमुख हैं। उन्होंने लाखों रोगियों को आयुर्वेदिक प्राकृतिक जड़ी-बूटियों के साथ ठीक किया जाता है
आयुर्वेद की मदद से करें किडनी रोग का इलाज, जिनको हाई ब्लड प्रेशर और शुगर जैसे रोग की परेशानी हो और उनके परिवार में कभी किसी को किडनी की कोई बीमारी हुई हो, तो तब किडनी रोग होने की संभावना अन्य लोगों से अधिक होती है।
जो देश-विदेश के हजारों किडनी रोगियों का इलाज करते हैं। डॉ. पुनीत डायलिसिस और किडनी प्रत्यारोपण सलाह दिए बिना किड़नी के रोग को ठीक करते हैं। “किडनी फेल्योर के लिए बैंगलोर के बेस्ट डॉक्टर और अस्पताल”
किडनी का कैंसर आपके किडनी में शुरु होता है जो मुट्ठी के आकार के बराबर की होती है और आपकी रिढ़ की हड्ड़ीके दोनों तरफ पेट के अंगों के पीछे स्थित होती हैं। वयस्कों में, रीनल सेल कार्सिनोमा किडनी के कैसंर का सबसे आम प्रकार हैं।
स्वस्थ किडनी रक्त में घुले हुए अपशिष्ट पदार्थो और जल की अत्यधिक मात्रा को शरीर से पेशाब के पूर में बाहर निकालने का काम करती है। जब किडनी रक्त में घुले हुए अपशिष्ट पदार्थो को शरीर से बाहर निकालने में असफल होने लगती हैं,
किडनी रोगियों के लिए आयुर्वेदिक इलाज एक वरदान के रूप में साबित हो रहा हैं। 80 प्रतिशत तक खराब हो चुके किडनी रोगी को आयुर्वेदिक इलाज के जरीए ठीक किया है। इसका खुलासा खुद मरीजों की रिपोर्ट में हुआ हैं।
यहां किडनी फेल होने की चेतावनी से संबंधित लक्षणों के बारे में बताया गया है। अपने तथा अपने प्रिय लोगों के स्वास्थ्य का ध्यान रखना महत्वपूर्ण है। “किडनी फेल्योर उपचार के लिए त्रिपुरा के बेस्ट डॉक्टर और अस्पताल”
पॉलीसिस्टिक किडनी रोग एक जेनेटीक बीमारी है जो कि गुर्दे में अल्सर के गठन और उसके बाद विकास के कारण होती हैं ये बीमारी ज्यादातर एक परिवार की प्रकृति की होती हैं। जिसे अक्सर आयु वर्ग में 20 से 40 साल तक निदान किया जाता हैं
आयुर्वेदिक उपचार तन-मन और आत्मा के बीच संतुलन बनाकर स्वास्थय में सुधार करता है। आयुर्वेद में न केवल उपचार होता है। बल्कि ये जीवन जीने का ऐसा तरीका सिखाता है, जिससे जीवन सरल और आसान होता है। आयुर्वेद की मदद शरीर में कोई भी बीमारी उत्पन नही हो सकती है,
किडनी डिजीज में सबसे बड़ी परेशानी ये है कि इसका हमें जल्दी से पता नहीं रहता और जब पता लगता है तब तक काफी देर हो चुकी होती है। इसलिए सावधानी से किडनी खराब होने से पहले ही इसके लक्षणों की पहचान करना बहुत जरूरी होता है।
आयुर्वेदिक दवाओं में वरुण, कासनी, गोखुर, पुनर्नवा और शिरिष जैसी जड़ी-बूटियां शामिल है जो रोग को जड़ से खत्म कर देती है। आयुर्वेदिक उपचार केंद्रो में से एक हैं नई दिल्ली के बेस्ट किडनी उपचार केंद्र कर्मा आयुर्वेदा।
किडनी उपचार केंद्र कर्मा आयुर्वेदा आयुर्वेदिक प्राकृतिक जड़ी-बूटियों वाली दवाओं से किडनी फेल्योर रोगियों को ठीक करते हैं। कर्मा आयुर्वेदा द्वारा 1937 से किडनी रोगियों का इलाज किया जा रहा है। आज इसके नेतृत्व में डॉ. पुनीत धवन हैं।
किडनी हमारे शरीर में खून साफ करके पेशाब बनाने का काम करती है। साथ ही स्त्री और पुरुष दोनों में ही दो किडनी होती हैं। किडनी हमारे पेट के अंदर से पीछे के हिस्से में पीठ के दोनों तरह छाती की पसलियों के सुरक्षित तरीके में होती हैं।
शरीर में किडनी का प्रमुख कार्य शुद्धिकरण का होता है, लेकिन शरीर में किसी रोग की वजह से जब दोनों किडनी अपना कार्य करने में अक्षम हो जाती है तो तब इस स्थिति को किडनी फेल्योर कहते है। “किडनी फेल्योर उपचार के लिए महाराष्ट्र के बेस्ट डॉक्टर और अस्पताल”
किडनी हमारे शरीर का सबसे ज्यादा महत्वपर्ण अंग हैं। किडनी शरीर से विषैले पदार्थ और एक्स्ट्रा पानी को फिल्टर करके यूरिन के जरीए बाहर निकालता हैं। इससे शरीर आराम से काम करते हैं, लेकिन किडनी खराब होने पर कठिनाई और हाथ-पैरों में सूजन आने लगती हैं।
किडनी रोग के लिए एलोपैथिक इलाज से ज्यादा आयुर्वेदिक उपचार है, क्योंकि आयुर्वेद में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों और तकनीकों के उपयोग के साथ सभी प्रकार की शारीरिक बीमारों के इलाज के लिए एक प्राचीन प्रथा माना जाता है।
किडनी की बीमारी की प्रथम अवस्था को समझने के लिए उसके लक्षणों के बारे में पता लगाना ज़रूरी होता है। किडनी के खराब होने के दूसरे लक्षण उसके 80% खराब होने के बाद नजर में आते हैं। “किडनी फेल्योर उपचार के लिए राजस्थान के बेस्ट डॉक्टर और अस्पताल”
किडनी फेल्योर के दो कारक के होते हैं, पहला एक्यूट किडनी फेल्योर। जिसका मतलब होता है कि आपकी किडनी अस्थायी रूप से बंद हो गई है। ये किडनी फेल्योर आमतौर पर पूरी तरह ठीक हो जाता है और इसमें डायलिसिस और किडनी प्रत्यारोपण की जरूरत नहीं पड़ती है।
अगर किडनी की बीमारी शरीर के सामान्य कार्य को करने की क्षमता में होती है तो ये किडनी फेल्योर की स्थिति को दूर कर सकती है। अगर किडनी की बीमारी का इलाज समय पर नहीं किया जाता है तो इसका परिणामस्वरूप किडनी फेल हो सकती है।
शरीर में किडनी का मुख्य कार्य शुद्धिकरण का होता है, लेकिन शरीर में किसी रोग की वजह से जब दोनों किडनी अपना कार्य करने में अक्षम हो जाती है तो तब इस स्थिति को किडनी फेल्योर कहते हैं।
अगर किडनी की बीमारी शरीर के सामान्य कार्य को करने की क्षमता में होती है तो ये किडनी फेल्योर की स्थिति को दूर कर सकती है। अगर किडनी की बीमारी का इलाज समय पर नहीं किया जाता है तो इसका परिणामस्वरूप किडनी फेल हो सकती है।
नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम एक आम किडनी रोग है। जिसमें पेशाब में प्रोटीन का जाना, रक्त में प्रोटीन की मात्रा में कमी, कोलेस्ट्रॉल का उच्च स्तर और शरीर में सूजन इस बीमारी के लक्षण हैं।
हमारी किडनी शरीर में संतुलन बने रखने के कई कार्यों का निष्पादन करती है। वे अपशिष्ट उत्पादों तो फिल्टर करके पेशाब से बाहर निकालते है और निष्कासन करते है। वे शरीर में पानी की मात्रा, सोडियम, पोटेशियम और कैल्शिम की मात्रा को संतुलित करते हैं।
आयुर्वेदिक उपचार किडनी से संबंधित समस्याओं को ठीक करने में सफल रहा हैं, वो भी डायलिसिस और किडनी प्रत्यारोपण के बिना। किडनी फेल्योर या अन्य किडनी रोग के लिए असम में आयुर्वेदिक डॉक्टर में से एक है डॉ. पुनीत धवन।
जब कई वर्षों तक धीरे-धीरे किडनी के कार्य करने की क्षमता कम हो होती है तो तब उसे क्रोनिक किडनी रोग कहा जाता है। इस बीमारी का अंतिम स्टेज किडनी फेल्योर होता है।
किडनी शरीर की गंदगी को फिल्टर करने का काम धीमा या बंद कर देती हैं और तब किडनी फेल्योर की स्थिती बनती हैं। ये अपशिष्ट उत्पादों और ब्लड में जहरीले पदार्थ पैदा होने के कारण हो सकता हैं। किडनी की विफलता के दो प्रकार होते हैं- एक्यूट किडनी रोग और क्रोनिक किडनी रोग।
किडनी फेल होने की अंतिम स्थिति से किडनी को पूरी तरह काम न कर पाते से हैं। यदि कोई व्यकित किडनी फेल होने की अंतिम स्थिति में होते हैं तो उसके लिए कुछ नहीं किया जा सकता। तब ये महत्वपूर्ण है कि जब भी आपको किडनी से संबंधित कोई समस्या आए तो आप तुरंत किसी योग्य व पेशेवर आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ. पुनीत धवन की सलाह लें।
किडनी में इंफेक्शन एक विशिष्ट प्रकार का मूत्र पथ इंफेक्शन है जो ज्यादातर आपके मूत्रमार्ग या मूत्रशय से शुरु होता है और आपकी किडनी तक पंहुच जाता है। किडनी इंफेक्शन के लिए जल्दी से डॉक्टर की आवश्यकता पड़ती है।
आज डॉ. पुनीत धवन इसके नेतृत्व में है। हर साल हजारों किडनी रोगियों का इलाज करते है। वो भी डायलिसिस और किडनी प्रत्यारोपण की सलाह के बिना। डॉ. पुनीत धवन सिर्फ ओर सिर्प आयुर्वेदिक उपचार पर विश्वास करते हैं। “किडनी फेल्योर उपचार के लिए ओडिशा के बेस्ट डॉक्टर और अस्पताल”
पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज पी.के.डी एक वंशानुगत रोग हैं। इसलिए परिवार के किसी एक सदस्य में इस रोग के निदान होने पर डॉक्टर की सलाह के अनुसार परिवार के परिवार के अन्य व्यक्तियों को यह बीमारी तो नहीं हैं
किडनी मानव शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग हैं। जब किडनी खराब होती हैं तो किसी गंभीर बीमारी या मौत का कारण बन जाती हैं। इसकी तुलना सुपर कंप्यूटर के साथ की जा सकती हैं, क्योंकि ये रचना बड़ी अटपटी है और उसके कार्य अत्यंत जटिल हैं
किडनी फेल्योर को (रेनल फेल्योर) भी कहा जाता हैं। इस स्थिति में किडनी ब्लड से मेटाबोलिक अपशिष्ट को खत्म करने या फिल्टर करने में असमर्थ होती हैं। किडनी फेल्योर तब होता हैं जब आपकी किडनी फंगक्शनिंग बंद कर देती है। ये कुछ घंटों में तेजी से हो सकता हैं।
मानव किडनी बीन्स के आकार कि होती हैं और शरीर के सबसे महत्वपूर्ण भागों में से एक हैं। किडनी का मुख्य काम रक्त और पानी से अपशिष्ट को फिल्टर करता हैं और फिल्ट्रेशन करके इन अशुद्धियों से शरीर को छुटकारा दिलाती है
किडनी मानव शरीर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जो हमारे शरीर में विभिन्न उद्देश्यों को पूरा करते हैं। ये मुख्य अंग प्रणाली है जो रक्त से अतिरिक्त तरल पर्दाथ और अपशिष्ट से छुटकारा पाने में एक महत्वपूर्ण काम करती है।
किडनी शरीर का सबसे जरूरी अंग होता हैं। किडनी शरीर से विषैले पदार्थ और एक्स्ट्रा पानी को फिल्टर करके यूरिन के जरिए बाहर निकालता हैं। इससे शरीर आराम से काम करता है, लेकिन किडनी खराब होने पर कठिनाई और हाथ-पैरों में सूजन आने लगती हैं।
हार्ट फेल्योर को “कन्जेस्टिव” हार्ट फेल्यर (CHF) भी कहा जाता हैं। “कन्जेस्टिव” का अर्थ है शरीर में तरल पदार्थ की मात्रा बढ़ रही है, क्योंकि हृदय उचित तरीके से पम्पिंग नहीं कर रहा है। “आप कितनी देर तक दिल में रक्त जमाव और किडनी फेल्योर के साथ रह सकते हैं”
किडनी शरीर का मुख्य अंग है जो शुद्धिकरण का काम करती है, लेकिन जब शरीर में किसी रोग की वजह से दोनों किडनी अपना सामान्य कार्य करने में अक्षम हो जाती हैं तो इस स्थिति को हम किडनी फेल्योर कहते हैं। “किडनी फेल्योर उपचार के लिए पश्चिम बंगाल के बेस्ट डॉक्टर और अस्पताल”
आजकल की जीवनशैली में बदलाव के कारण और खानपान की गलत आदतों के कारण किडनी रोगियों की संख्या आए दिन बढ़ती जा रही है। जी हां, हर साल लगभग साढ़े आठ लाख लोग किडनी रोग के कारण मर जाते हैं।
किडनी फेल्योर में किडनी समारोह के पूर्ण नुकसान की स्थिति हैं। जो किडनी की विफलता के कारण क्रोनिक किडनी रोग, पॉलीसिस्टिक किडनी रोग, तीव्र किडनी फेल्योर, गंभीर किडनी संक्रमण आदि हैं।
किडनी शरीर में मुख्य कार्य शुद्धिकरण का होता हैं, लेकिन शरीर में किसी रोग की वजह से जब दोनों किडनी अपना कार्य करने में अक्षम हो जाती है तो तब इस स्थिति को किडनी फेल्योर कहते हैं। “किडनी फेल्योर उपचार के लिए मध्यप्रदेश के बेस्ट डॉक्टर और अस्पताल”
आजकल किडनी फेल्योर के मरीजों में काफी वृद्धि हो रही हैं। देश में ही, नहीं बल्कि विदेशों में भी किडनी फेल्योर के रोगियों की संख्य़ा दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। “किडनी फेल्योर उपचार के लिए गुजरात के बेस्ट डॉक्टर और अस्पताल”
आयुर्वेदिक चिकित्सकों का मानना हैं कि एक या अधिक किडनी रोगों के डायग्नोस के बाद भी जिंदगी हैं और अगर रोग की पहचान पहले ही हो जाती है तो इसे वैकल्पिक उपचारों से ठीक किया जा सकता हैं। मरीज इन वैकल्पिक इलाजों का उपयोग कर सकते हैं
ब्लड में क्रिएटिनिन का स्तर बताता है कि, आपकी किडनी अच्छी तरह से कार्य कर रही है और हाई ब्लड प्रेशर का अर्थ है कि आपकी किडनी उस तरह से कार्य नहीं कर रही हैं, जैसे उसे करनी चाहिए। रक्च में क्रिएटिनिन की मात्रा आंशिक रूप से आप के शरीर में उपस्थित पेशीय उत्तको या मांसपेशियों पर निर्भर करती है। पुरुषों में महिलाओं की तुलना में क्रिएटिनिन का स्तर अधिक होता है।
किडनी का शरीर में मुख्य कार्य शुद्धिकरण का होता हैं, लेकिन जब शरीर में किसी रोग की वजह से जब दोनों किडनी अपना सामान्य कार्य करने में अक्षम हो जाती हैं तो तब हम इस स्थित को किडनी फेल्योर कहते हैं। “किडनी फेल्योर ट्रीटमेंट के लिए तमिलनाडु के बेस्ट डॉक्टर और अस्पताल”
आयुर्वेदिक उपचार में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का और ऑरगेनिक का इस्तेमाल करते हैं। आयुर्वेदिक दवाओं में वरुण, कासनी, गोखुर, पुनर्नवा और शिरिष जैसी जड़ी-बूटियां शामिल हैं, इसलिए किडनी के किसी भी रोग के लिए आप किडनी ट्रीटमेंट इन इंडिया
हर साल हजारों किडनी रोगियों का इलाज करते हैं। वो बिना डायलिसिस और बिना किडनी प्रत्यारोपण की सलाह के। डॉ. पुनीत धवन सिर्फ ओर सिर्फ आयुर्वेदिक उपचार पर विश्वास करते हैं। “किडनी फेल्योर उपचार के लिए गोवा के बेस्ट डॉक्टर और अस्पताल”
आयुर्वेद चिकित्सा शरीर, मन और आत्मा का एक प्राचीन विज्ञान हैं। आयुर्वेद का उपयोग जड़ी-बूटियों और पूर्व-ऐतिहासिक तकनीकों के साथ इस्तेमाल किया जाता हैं। “किडनी फेल्योर उपचार के लिए हिमाचल प्रदेश के बेस्ट डॉक्टर और अस्पताल”
क्रोनिक किडनी डिजीज में दोनों किडनी को खराब होने में महीनों से सालों तक का समय लगता है। इसके शुरूआत में दोनों किडनी की कार्यक्षमता में अधिक कमी न होने के कारण कोई लक्षण दिखाई नहीं देते हैं, लेकिन जैसे-जैसे किडनी ज्यादा खराब होने लगती हैं और तब मरीज की तकलीफ बढ़ती जाती हैं।
सीरम क्रिएटिनिन एक प्रकार का वेस्ट प्रोडक्ट होता हैं, जो खाने में ज्यादा मीट प्रोटीन लेने से या शरीर की मांसपेशियों की टूट फुट होने से बढ़ता हैं। जब मेटाबोलिज्म प्रक्रिया द्वारा भोजन उर्जा में बदलता हैं तो तब एक अन्य पदार्थ यानी क्रिएटिन का निर्माण होता हैं।
शरीर में किडनी का मुख्य कार्य शुद्धिकरण का होता है, लेकिन शरीर में किसी रोग की वजह से जब दोनों किडनी अपना कार्य करने में अक्षम हो जाती हैं तो तब इस स्थिति को किडनी फेल्योर कहते हैं। “किडनी फेल्योर उपचार के लिए जम्मू-कश्मीर के बेस्ट डॉक्टर और अस्पताल”
किडनी रक्त में से जल और बेकार पदार्थो अलग करती हैं। शरीर में रसायन पदार्थो का संतुलन, हार्मोन्स छोडना, रक्तचाप नियंत्रित करने में सहायता प्रदान करती हैं। ये लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण में भी सहायता करती है। इसका एक और कार्य है विटामिन-डी का निर्माण करना, जो मानव की हड्डियों को स्वस्थ और मजबूत बनाता हैं। “किडनी फेल्योर योगा”
किडनी के प्रभावी रूप से काम ना कर पाने की कई वजह हो सकती हैं। किडनी फंक्शन टेस्ट किडनी के कार्यों की जांच करने और समय के साथ-साथ उन पर नजर रखने में डॉक्टर मदद करता है।
जब दोनों किडनी काम नहीं कर रही हो, उस समय किडनी का कार्य कृत्रिम विधि से करने की पध्दति को डायलिसिस कहते हैं। डायलिसिस एक प्रक्रिया है जो किडनी की खराबी के कारण शरीर में एकत्रित अपशिष्ट उत्पादों और अतिरिक्त पानी को कृत्रिम रूप से बाहर निकालता हैं।
शरीर में किडनी का मुख्य कार्य शुद्धिकरण का होता हैं, लेकिन जब शरीर में किसी रोग की वजह से जब दोनों किडनी अपना सामान्य कार्य करने में अक्षम हो जाते हैं तो इस स्थिति को हम किडनी फेल्योर कहते हैं। “कौन सा क्रिएटिनिन लेवल किडनी फेल्योर का संकेत देता है?”
किडनी के लिए ही डायलिसिस किया जाता है जब किडनी की कार्यक्षमता 80-90 प्रतिशत तक घट जाती है और पेशाब का बनना बहुत कम हो जाता है जिससे विषाक्त पदार्थों का शशरीर में जमा होने से थकान सूजन, मतली, उल्टी और सांस फूलने जैसे लक्षण दिखाई देने लगते हैं।
शरीर में किडनी का मुख्य कार्य शुद्धिकरण का होता हैं, लेकिन जब शरीर में किसी रोग की वजह से जब दोनों किडनी अपना सामान्य कार्य करने में अक्षम हो जाते हैं तो इस स्थिति को हम किडनी फेल्योर कहते हैं। “किडनी फेल्योर और आयुर्वेदिक क्लीनिक”
मानव शरीर में रीढ़ की हड्डी के दोनों किनारों पर 2 किडनी होती है। सामान्य स्वस्थ किडनी हर दिन 120-150 क्वार्ट्स खून फिल्टर करती है और अपशिष्ट, विषाक्त पदार्थ और अतिरिक्त तरल पदार्थ जैसी अशुद्धियों को हटा देती है।
किडनी हमारे शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है जो हमारे शरीर से अशुद्धियों और विषेले पदार्थो को बाहर निकालता है। किडनी में दर्द और सूजन होना ये 2 समस्याएं हैं। जी हां, आजकल गलत खान-पान, अस्वस्थ्य जीवनशैली और प्रदूषित वातावरण के कारण किडनी रोग बढ़ रहा है
ग्लोम्युलर फिल्ट्रेशन रेट (जीएफआर) ये अनुमान लगाने में एक महत्वपूर्ण है कि किडनी कितनी अच्छी तरह से काम करते हैं। यह विशेष रूप से मधुमेह के दीर्घकालिक पाठ्यक्रम में किडनी की क्षति का पता लगाने का कार्य करता है।
किडनी शरीर के महत्वपूर्ण अंगों में शामिल हैं। किडनी में खराबी आने से हमारी जिंदगी जीना मुश्किल हो जाता हैं, लेकिन आयुर्वेदिक उपचार ये इसे ठीक किया जा सकता हैं। आजकल किडनी फेल्योर के मरीजों में बेतहाशा वृद्धि हो रही हैं।
किडनी फेल होने का लोगों को पता नहीं चल पता है, क्योंकि बची हुई दूसरी किडनी के सहारे सामान्य जीवन जिया जा सकता है। इसके लक्षण दोनों किडनी के फेल होने पर ही दिखाई देते है। ऐसे में शरीर में सूजन, उल्टी, कमजोरी व कम यूरिन जैसी समस्याएं पैदा होने लगती है।
आयुर्वेदिक प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का उपयोग करता हैं। जो रोग को पूरी तरह से ठीक करने के लिए बेहतरीन माना जाता हैं। भारत के प्रसिद्ध आयुर्वेदिक क्लीनिकों में से एक कर्मा आयुर्वेदा हैं। जो 1937 के बाद से ही दुनिया भर के किडनी रोगियों का इलाज कर रहें हैं।
आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों के उपयोग से शारीरिक बीमारियों का इलाज करने का एक बहुत ही पुराना अभ्यास है। लाइफ स्टाइल में बदलाव के कारण ज्यादा उम्र वालें लोगों में क्रोनिक रोग की वृद्धि हुई है।
किडनी ब्लड से गंदगी व तरल पदार्थ को फिल्टर जो की पेशाब में पाया जाता है। क्रोनिक किडनी रोग एक उन्नत चरण तक पहुंचता है, खतरनाक तरल पदार्थ, इलेक्ट्रोलाइट्स और अपशिष्ट पदार्थ आपके शरीर में बना सकते हैं। यदि यह स्थिति लंबे समय तक रहती है, तो यह किडवी की विफलता का कारण बन सकती है।
किडनी शरीर का महत्वपूर्ण अंग हैं जो हमारे ब्लड को साफ करने में मदद करता है। किडनी ब्लड से खराब मेटाबॉलिक व अतिरिक्त पानी को फिल्टर करता हैं। इसके साथ ही यह रेड ब्लड प्रोडक्शन को शुरू करने और शरीर में एसिड को संतुलित करने का कार्य करता है।
नेफ्रोटिक सिंड्रोम एक ऐसी स्थिति है जिसके कारण पेशाब में प्रोटीन की उच्च मात्रा बढ़ती है। इससे शरीर में पेशाब की कमी होती है और इससे किडनी की विफलता का एक बड़ा संकेत मिलता है।
पॉलीसिस्टिक किडनी रोग के लिए आयुर्वेदिक इलाज एलोपैथिक इलाज से अधिक प्रभावी साबित हुआ है। आयुर्वेद प्राकृतिक जड़ी बूटियों और तकनीकों के उपयोग के साथ सभी प्रकार की शारीरिक बीमारियों के इलाज के लिए एक प्राचीन प्रथा माना जाता है।
किडनी के रोगों में क्रोनिक किडनी डिजीज फेल्योर एक गंभीर रोग हैं, क्योंकि विशेषज्ञ में इस रोग को खत्म करने की कोई दवा उपलब्ध नहीं है। पिछले कई सालों से इस रोग के मरीजों की संख्या में उत्तरोत्तर वृद्धि हो रही हैं। साथ ही दस में से एक व्यक्ति को किडनी की बीमारी होती हैं।
किडनी रोग में क्रोनिक किडनी डिजीज सबसे ज्यादा गंभीर रोग हैं। साथ ही विशेषज्ञ के अनुसार, इस रोग को खत्म करने की कोई दवा उपलब्ध नहीं हैं। पिछले कई सालों से इस रोग के मरीजों की संख्या में उत्तरोत्तर वृद्धि हो रही हैं।
प्रोटीनूरिया डायबीटिज़ रोगियों के बीच एक आम समस्या है। यदि प्रोटीनुरिया मौजूद है तो यह हो सकता है कि उन्हें पता नहीं है की रोगी डायबीटिज है, क्योंकि रोगी वास्तव में डायबीटिज का रोगी है या नहीं यह निर्धारित करने के लिए कि वे डायबीटिज का टैस्ट करवाना पड़ता है।
दुनिया भर में अधिक से अधिक लोग किडनी की समस्याओं से ग्रस्त हो रहे हैं। इनमें से अधिकतर लोग मध्यम या बुढापे की उम्र में हैं जो पहले से ही मधुमेह और उच्च रक्तचाप जैसी समस्याओं से पीड़ित हैं। उन लोगों के बीच किडनी की समस्याएं भी आम हैं जिन्हे विरासत में मिली हो।
आज लगभग 15 प्रतिशत अमेरीकी लोगों को क्रोनिक किडनी की बीमारियां हैं। प्राकृतिक जड़ी-बूटियों और अवयवों के कम उपयोग के कारण दुनिया भर में संख्याएं बढ़ रही हैं। आज लोग एक प्रदूषित वातावरण में रह रहे हैं और ये एक अपर्याप्त जीवनशैली है
शरीर से उचित द्रव संतुलन को बनाए रखने, अपशिष्ट पदार्थ को हटाने और रक्त से विषाक्त पदार्थों को खत्म करने के लिए किडनी महत्वपूर्ण काम करती है। किडनी पेशाब को बनाती है जो चयापचय अपशिष्ट और अतिरिक्त तरल पदार्थ को बाहर करने में मदद करता है।
जब ब्लड का लेवल बढ़ने लगता है तो तब किडनी खराब होने लगती है। एक लेवल पार करने के बाद रोगी को डायलिसिस की जरूरत हो जाती है। इस बीमारी से बचने से पहले हमें ये जरूर जानलेना चाहिए कि सीरम क्रिएटिनिन है क्या?
प्रोटीनूरिया एक ऐसी बीमारी हैं जो मूत्र में प्रोटीन की अत्यधिक या उच्च मात्रा की उपस्थिति, किडनी की बीमारी का प्रारंभिक संकेत हो सकता हैं। स्वस्थ गुर्दे मूत्र के माध्यम से शरीर से बाहर निकलने के लिए प्रोटीन की एक महत्वपूर्ण मात्रा की अनुमति नहीं देते हैं
किडनी का इन्फेक्शन एक विशिष्ट प्रकार का मूत्र पथ इन्फेक्शन हैं जो आमतौर पर आपके मूत्रमार्ग या मूत्राशय से शुरु होता हैं और आपके किडनी तक जाता हैं। किडनी इन्फेक्शन के लिए जल्दी से डॉक्टर की आवश्यकता पड़ती हैं।
शराब पीना (अल्कोहोल) सेहत के लिए हानिकारक होता है। यह तो हम हमेशा ही पढ़ते व सुनते है, लेकिन शरीर के किस भाग पर इसका सबसे जयादा प्रभाव पड़ता है इस बात की भी आपको जानकारी होनी चाहिए।
इस आर्टिकल में हम आपको किडनी सिकुड़ने के घरेलू उपाय के बारे में बताएँगे जो बहुत आसान भी होंगे पर इसे पहले हम इनके लक्षणों और कारणों पर ध्यान देंगे।