किडनी संक्रमण क्या है? (पायलोनेफ्राइटिस)

किडनी संक्रमण (पायलोनेफ्राइटिस) एक प्रकार का यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन है, जिसमें किडनी की सूजन शामिल हो सकती है। यह स्थिति तब उत्पन्न हो सकती है जब बैक्टीरिया, आमतौर पर नीचे वाले यूरिनरी ट्रैक्ट से, यूरेटर तक चले जाते हैं और या तो एक या दोनों ही किडनी को संक्रमित करना शुरू कर देते हैं। किडनी इंफेक्शन नीचे वाले यूटीआई की तुलना में ज्यादा गंभीर हो सकता है। अगर आपको किडनी इंफेक्शन या यूटीआई के लक्षण महसूस हो, तो किडनी इंफेक्शन का आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट लेने पर विचार जरूर करें। किडनी इंफेक्शन एक्यूट या क्रोनिक हो सकता है, जिसका उपचार न करने पर उसमें गंभीर समस्याएं हो सकती हैं।

किडनी इंफेक्शन के लक्षण और संकेत

किडनी इंफेक्शन (पायलोनेफ्राइटिस) के दौरान, रोगी को निम्नलिखित लक्षणों का अनुभव हो सकता है -

  • बुखार या हाई बॉडी टेम्परेचर
  • पीठ का छोटा या साइड हिस्सा (पार्श्व भाग), खास तौर से किडनी के ऊपर के हिस्से में
  • पेशाब में झाग बनना
  • पेशाब में पस या खून आना
  • थकान और थकावट
  • पेशाब करने की जल्दी या बार-बार जाने की जरूरत महसूस होना

अगर आपको ऊपर वाले में से कोई भी लक्षण महसूस हो, तो तुरंत किडनी संक्रमण की दवाई के लिए डॉक्टर से सलाह करें। किडनी संक्रमण के लिए आयुर्वेदिक उपचार को आयुर्वेदिक चिकित्सकों की देखरेख में पूरी देखभाल योजना में एकीकृत जाना चाहिए।

किडनी इंफेक्शन के कारण

किडनी इंफेक्शन (पायलोनेफ्राइटिस) का मुख्य कारण एक जीवाणु संक्रमण है जो नीचे वाले यूरिनरी ट्रैक्ट से उत्पन्न होता है। कुछ प्रकार के बैक्टीरिया, जो किडनी में इंफेक्शन का कारण बन सकते हैं -

  • ई.कोलाई
  • प्रोटियस मिराबिलिस
  • एंटरोबैक्टर
  • स्टैफिलोकोकस

किडनी इंफेक्शन (पायलोनेफ्राइटिस) बढा़ने के लिए ई. कोलाई सबसे आम बैक्टीरिया है। इस बीमारी को खत्म करने के लिए किडनी इन्फेक्शन का आयुर्वेदिक उपचार अपनाएं। इनके अलावा, यूरिनरी ट्रैक्ट समस्याएं, किडनी स्टोन, कमजोर इम्यून सिस्टम या रक्तप्रवाह में कोई भी सीरियस इंफेक्शन भी गुर्दे में फैल सकता है, जिससे एक्यूट किडनी इंफेक्शन (पायलोनेफ्राइटिस) हो सकता है।

किडनी इंफेक्शन की समस्याएं

अगर आपको किडनी इंफेक्शन (पायलोनेफ्राइटिस) का उपचार नहीं मिलता है, तो गंभीर समस्याएं हो सकती हैं जैसे कि -

किडनी डैमेज - इसमें पस इकट्ठी हो सकती है और किडनी टिश्यू के अंदर फोड़ा हो जाता है। बैक्टीरिया का आपके शरीर के दूसरे अंगों तक फैलना संभव है। किडनी पर होने वाले निशान हाई ब्लड प्रेशर, क्रोनिक किडनी डिजीज और किडनी फेल्योर का कारण बन सकते हैं।

रक्त विषाक्तता (सेप्टीसीमिया) - जब किडनी इंफेक्शन से बैक्टीरिया आपके शरीर और अंगों में फैल जाते हैं। ये एक मेडिकल इमरजेंसी होती है, जिसके लिए तुरंत ही इलाज की जरूरत होती है।

गंभीर संक्रमण - एम्फिसेमेटस पायलोनेफ्राइटिस एक इंफेक्शन होता है, जो आपके किडनी टिश्यू को डैमेज कर सकता है और विषाक्त गैस संचय का कारण बन सकता है। यह आमतौर पर डायबिटीज वाले लोगों में होता है।

गर्भावस्था के दौरान समस्याएं - जिन महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान किडनी इंफेक्शन होता है, उनमें समय से पहले बच्चे पैदा होने या वजन कम होने की संभावनाएं अधिक होती हैं।

किडनी इंफेक्शन की रोकथाम

किडनी इंफेक्शन के खतरे को कम करें, जिसमें शामिल हैं -

  • अच्छी स्वच्छता प्रथाएं
  • हाइड्रेशन
  • कब्ज और यूटीआई का शीघ्र उपचार
  • हाइड्रेशन यूरिनरी ट्रैक्ट से बैक्टीरिया को हटाने के लिए पर्याप्त तरल पदार्थ को सुनिश्चित करता है
  • बैक्टीरिया को फैलने से रोकने के लिए अच्छी स्वच्छता आदतें अपनाएं और शौच के बाद आगे से पीछे तक पोंछें

किडनी में बैक्टीरिया फैलने से रोकने के लिए आयुर्वेद में किडनी इंफेक्शन का इलाज करवाएं।

गर्भावस्था में किडनी संक्रमण का उपचार

जिन महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान किडनी इंफेक्शन होता है, उनमें समय से पहले बच्चे पैदा होने या वजन कम होने की संभावना ज्यादा होती है। महिला गर्भावस्था में किडनी इंफेक्शन के इलाज में आम तौर पर यूरिन आउटपुट को पर्याप्त बनाए रखने के लिए एंटीबायोटिक थेरेपी और आईवी फ्लूइड्स शामिल होते हैं। किडनी इंफेक्शन के लिए प्रथम-पंक्ति उपचार में आमतौर पर एंटीबायोटिक्स शामिल होते हैं। जब किडनी संक्रमण (पायलोनेफ्राइटिस) के लिए सर्वोत्तम एंटीबायोटिक दवाओं की बात आती है, तो एंटीबायोटिक का चुनाव इंफेक्शन की गंभीरता और एंटीबायोटिक के प्रति व्यक्तिगत प्रतिक्रिया (जैसे एलर्जी) जैसे कारकों पर निर्भर हो सकता है। एक्यूट किडनी इंफेक्शन (पायलोनेफ्राइटिस) एंटीबायोटिक्स बीमारी की प्रगति को रोकने में मदद कर सकते हैं। क्रोनिक किडनी इंफेक्शन (पायलोनेफ्राइटिस) के लिए पेनिसिलिन (एमोक्सिसिलिन) और फर्स्ट जेनरेशन सेफालोस्पोरिन्स का इस्तेमाल किया जाता है।

आयुर्वेद में किडनी इंफेक्शन का इलाज

किडनी इंफेक्शन के लिए आयुर्वेदिक उपचार में किडनी के स्वास्थ्य को बढ़ावा देने और समस्याओं को रोकने के लिए हर्बल उपचार, आहार समायोजन और जीवनशैली प्रथाओं के साथ इलाज की एक विस्तृत श्रेणी को जोड़कर रखा गया है।

हर्बल दृष्टिकोण

किडनी इंफेक्शन के लिए आयुर्वेदिक दवा और हर्बल दृष्टिकोण प्रभावी उपचार हैं, क्योंकि वे सामान्य पीएच को बनाए रखते हैं, जो बैक्टीरिया के प्रभाव को कम करता है। इन इंफेक्शन के प्रबंध में गोक्षुरा, पुनर्नवा, वरुणा, गुडुची आदि शामिल हैं। किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श लें, जो आपके स्वास्थ्य की स्थिति और आपकी गंभीरता का मूल्यांकन करेगा, जो उचित दवा और मार्गदर्शन में आपकी सहायता भी करता है।

पंचकर्म

पंचकर्म एक प्राकृतिक उपचार है जो शरीर के आंतरिक संतुलन और जीवन शक्ति को शुद्ध और नवीकृत करता है। उपचार पद्धति का लक्ष्य संपूर्ण स्वास्थ्य, तबीयत और स्वयं उपचार करके लाभ पहुंचाना है। उपचार से मानव शरीर को पुनर्जीवन लाभ होता है और यूटीआई इंफेक्शन पर इसका प्रमाणित प्रभाव पड़ता है। किडनी इंफेक्शन के उपचार के लिए विरेचन और बस्ती सर्वोत्तम थेरेपी हैं।

योग और सांस लेने की तकनीक

योग शरीर की थकावट और खत्म हो रही एनर्जी को पहले जैसा करने के लिए जाना जाता है। योग यूटीआई के लक्षणों से राहत दिलाने में फायदेमंद है, और शरीर के पक्ष में प्रभावी ढंग से काम करता है। सूर्यनमस्कार, प्राणायाम, षट क्रिया, चेयर पोज़, त्रिकोण मुद्रा और स्क्वाट मुद्रा कुछ ऐसे व्यायाम हैं जो यूटीआई के साथ-साथ किसी व्यक्ति के संपूर्ण स्वास्थ्य को बनाए रखने में सहायता करते हैं। इन आसनों और स्ट्रेच एक्सरसाइज को करने से प्रभावित मांसपेशियां मजबूत और टोन होती हैं।

किडनी इंफेक्शन के लिए आहार और जीवनशैली में बदलाव

आहार में बदलाव लक्षणों को कम करने में सहायता करता है। इसलिए, असुविधा को कम करने के लिए, आपको अपने आहार में बदलाव करना चाहिए, जिसमें शामिल हैं -

  • मसालेदार भोजन का सेवन कम करना चाहिए।
  • कैफीन से भरपूर पेय पदार्थों से बचें क्योंकि ये आपके ब्लैडर पर प्रभाव डाल सकते हैं और यूटीआई के लक्षण खराब हो सकते हैं।
  • जितना हो सके उतने पानी का सेवन करें।
  • ताजे नींबू के रस, नारियल पानी, क्रैनबेरी जूस, संतरे का जूस, गन्ने का रस और अनानास के जूस के काफी फायदे हैं।
  • सेब, अंगूर, आड़ू, जामुन, अनार, अंजीर और आलूबुखारा जैसे मौसमी फल ज्यादा से ज्यादा मात्रा में लें।
  • दही और दही जैसे प्रोबायोटिक्स में बैक्टीरियल इंफेक्शन के कारण होने वाले किसी भी असंतुलन को ठीक करने की ताकत होती है।
  • धनिये का जूस पीने से यूरिनरी ट्रैक्ट को बढ़ावा और ठंडक मिलेगी, जिसके परिणाम में विषाक्त पदार्थ भी बाहर निकलने लगेंगे।
  • अपने आहार में फाइबर शामिल करें।
  • रोजाना खाए जाने वाले नमक के बजाय, हिमालयन क्रिस्टल नमक या समुद्री नमक का उपयोग करना शुरू करें, जिससे आपकी किडनी और ब्लैडर पर बोझ नहीं पड़ता है।
  • अपने आहार में खीरा शामिल करें क्योंकि इसमें पानी की मात्रा अधिक होती है।

जीवन शैली

किसी व्यक्ति की जीवनशैली उसके स्वास्थ्य को निर्धारित करती है। रोग-मुक्त जीवन सुनिश्चित करने के लिए अच्छी जीवनशैली की आदतें अपनाना जरूरी है।

  • व्यक्तिगत स्वच्छता एवं साफ-सफाई पर ध्यान दें।
  • वेजाइना की सफाई से बैक्टीरिया के पनपने और इंफेक्शन की संभावना कम हो जाती है।
  • गर्म पानी से स्नान करने या एब्डोमन क्षेत्र में हीटिंग पैड लगाने से दर्द को कम करने में मदद मिल सकती है।
  • नहाने के बाद सूखे कपड़ों का प्रयोग करें।
  • मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को अच्छी व्यक्तिगत स्वच्छता प्रथाओं का पालन करना चाहिए।
  • सूती और ढीले कपड़े पहनें।
  • सेक्शुअल एक्टिविटी से पहले और बाद में पेशाब करें और अपने जेनिटल एरिया को साफ रखना सुनिश्चित करें।
  • तेज़ धूप और गर्मी के संपर्क में आने से बचें।
  • यूरिन को रोकने से बचें, क्योंकि यह आपके सिस्टम में विषाक्त पदार्थों को बरकरार रखता है।
  • नमी और गीलेपन से दूर रहें जिससे यूरिनरी इंफेक्शन हो सकता है।

किडनी इंफेक्शन के लिए कर्मा आयुर्वेदा क्यों चुनें?

किडनी इंफेक्शन (पायलोनेफ्राइटिस) एक गंभीर स्थिति है या जीवन के लिए खतरा पैदा करने वाली बीमारी हो सकती है। एक आयुर्वेद विशेषज्ञ आपकी व्यक्तिगत स्वास्थ्य स्थिति के आधार पर रोग की सही पहचान और उचित उपचार लिख सकता है।

देर क्यों करें? कर्मा आयुर्वेदा पर जाएं, जहां आपको अनुरागी आयुर्वेदिक डॉक्टर द्वारा सहायता दी जाएगी, जो किडनी इंफेक्शन के लिए आयुर्वेदिक दवा के साथ साथ बीमारी का प्रबंध करने में आपकी मदद कर सकते हैं। एक योग्य डॉक्टर के निर्देशों का पालन करके और निर्धारित आहार, जीवनशैली, किडनी इंफेक्शन की दवा और डिटॉक्स थेरेपी को शामिल करके, आप एक अच्छे परिणाम का अनुभव कर सकते हैं।

हम समस्या के मूल कारण का पता लगाने के लिए गहराई तक जाते हैं और आयुर्वेद में किडनी इंफेक्शन के इलाज की विस्तृत श्रृंखला के साथ इसे खत्म करते हैं। आश्वस्त रहें कि कर्मा आयुर्वेदा में दिया जाने वाला उपचार पूरी तरह से प्राकृतिक है और इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं है।

सामान्य प्रश्न

प्रश्न: क्या आयुर्वेदिक उपचार व्यक्तिगत आवश्यकताओं के आधार पर हैं?

उत्तर: आयुर्वेद एक समग्र अनुशासन है जो न केवल अनुकूलित उपचार प्रदान करता है बल्कि व्यक्ति की प्रकृति के आधार पर दवा और गैर-दवा तरीकों के माध्यम से अनुकूलित पोषण और जीवनशैली भी प्रदान करता है।

प्रश्न: पायलोनेफ्राइटिस के आयुर्वेदिक उपचार के दौरान जीवनशैली में किन बदलावों को करने के लिए कहा गया है?

उत्तर: आहार में परिवर्तन से लक्षण कम करने में मदद मिलती है। इस प्रकार, व्यक्ति को अपनी परेशानी से राहत पाने के लिए जरूरी आहार समायोजन करना चाहिए। इसके साथ ही, शारीरिक व्यायाम करना भी जरूरी है। इससे प्राकृतिक उपचारों की प्रभावशीलता बढ़ जाती है।

प्रश्न: आयुर्वेद पायलोनेफ्राइटिस के मूल कारण का समाधान कैसे करता है?

उत्तर: किडनी की सूजन को पायलोनेफ्राइटिस कहा जाता है। आमतौर पर सबसे प्रचलित कारण बैक्टीरियल इंफेक्शन, विशेष रूप से एस्चेरिचिया कोलाई है। आयुर्वेदिक उपचार योजनाएं शरीर में सेलुलर लेवल पर उत्पन्न होने वाले मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करके काम करती हैं, जिसके चलते, रोग के लक्षणों से राहत मिलती है।

प्रश्न: क्या पायलोनेफ्राइटिस के लिए एंटीबायोटिक्स लेते समय आयुर्वेदिक उपचार जारी रखा जा सकता है?

उत्तर: जब एक बार आयुर्वेदिक विशेषज्ञ आपकी चिकित्सीय स्थिति की जांच कर ले, तो दूसरी एंटीबायोटिक दवाओं के साथ-साथ आयुर्वेदिक दवाएं भी जारी रखी जा सकती हैं। आयुर्वेद को निश्चित रूप से एक पूरक उपचार के रूप में उपयोग किया जा सकता है। सुनिश्चित करें कि आप कभी भी शेड्यूल मिस न करें।

प्रश्न: क्या गर्भावस्था के दौरान पायलोनेफ्राइटिस के लिए आयुर्वेदिक उपचार का उपयोग किया जा सकता है?

उत्तर: आयुर्वेदिक दवाओं का उपयोग आपकी चिकित्सीय स्थिति से निर्धारित होता है। अगर आप गर्भवती हैं, तो आयुर्वेदिक विशेषज्ञ आपकी टेस्ट रिपोर्ट्स देखेंगे और देखेंगे कि आप इलाज लेने के लिए फिट हैं या नहीं। आयुर्वेदिक दवाओं का इस्तेमाल हमेशा अतिरिक्त इलाज के रूप में भी किया जा सकता है।

प्रश्न: क्या पायलोनेफ्राइटिस के लिए आयुर्वेदिक उपचार को घरेलू उपचार के साथ जोड़ा जा सकता है?

उत्तर: एक बार जब विशेषज्ञ रिपोर्ट को पढ़ लें और आपकी स्थिति का अच्छी तरह से विश्लेषण कर लें, तो एंटीबायोटिक इलाज के साथ आयुर्वेदिक इलाज लेना अच्छा होता है। आयुर्वेदिक पायलोनेफ्राइटिस उपचार का उपयोग नकारात्मक उपचारों के साथ करना सुरक्षित है।

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