क्रोनिक किडनी डिजीज का आयुर्वेदिक उपचार, क्रोनिक किडनी डिजीज के मरीज का पहला स्टेज उचित दवा देकर तथा खाने में परहेज से किया जा सकता है।
किडनी की कार्य क्षमता कम होने महीने से कई वर्षों तक की समय लगता है, तो उसे क्रोनिक किडनी डिजीज कहा जाता है। इस बीमारी की लास्ट स्टेज स्थायी रूप से किडनी फेल्योर होता है।
किडनी का काम ब्लड प्रेशर को बनाए रखने, रेड ब्लड सेल्स के उत्पादन के लिए, शरीर में अम्ल को नियंत्रित करने और मेटाबॉलिज्म को प्रभावित करने वाले हार्मोन जैसे- कैल्शियम, सोडियम, पोटेशियम और अन्य इलेक्ट्रोलाइट का उत्पादन करने के लिए होते हैं।
किडनी हमारे शरीर में रक्त शुद्ध कर अपशिष्ट उत्पादों, अतिरिक्त क्षार और अम्ल को पेशाब के जरिये शरीर से बाहर निकाल देती है, जिससे शरीर में संतुलन बना रहता है। लकिन कई कारणों के चलते किडनी खराब हो जाती है
हम अपने बाहरी शरीर की सफाई तो कर लेते हैं, लेकिन हम अपने आंतरिक शरीर की सफाई नहीं कर पातें। जिस प्रकार हमारे बाहरी शरीर की सफाई जरूरी है, ठीक उसी प्रकार हमारे आंतरिक शरीर की सफाई भी जरूरी है।
किडनी रोग में क्रोनिक किडनी डिजीज एक गंभीर रोग है क्रोनिक किडनी डिजीज के शुरूआती स्टेज में किडनी द्वारा कुछ हद तक कार्य होता है और लास्ट स्टेज को आयुर्वेदिक दवा देकर, खाने में परहेज से और योग आसान से ठीक किया जा सकता है।