क्रोनिक किडनी डिजीज (सी.के.डी) का स्टेज 2 कर्मा आयुर्वेदा – डा पुनीत धवन

किडनी की समस्या धीरे-धीरे शुरू होते हुए, किडनी फेल्योर का कारण बनती है और यह समस्या कभी-भी अचानक से नहीं होती| शुरुआत में कभी भी इस बीमारी के लक्षण नज़र नहीं आते, लेकिन जब यह समस्या बढ़ने लगती है, तब कुछ लक्षणों को देख कर आप बीमारी के बारे में पता लगा सकते हैं| आज हम क्रोनिक किडनी रोग के चरण 2 के बारे में बात करेंगे|

क्रोनिक किडनी रोग के चरण 2 में क्या होता है?

क्रोनिक किडनी रोग के चरण 2 की समस्या होने वाले व्यक्ति का ग्लोमेरुलर फिल्ट्रेशनरेट (glomerular filtration rate) यानि जीएफआर (GFR) सही न होने पर किडनी में समस्या आ जाती है| अगर जीएफआर 60-89 ml/min से कम है तो आपकी किडनी खराब हो चुकी है| अगर मरीज क्रोनिक किडनी रोग के चरण 2 में हैं, तो यह आमतौर पर मधुमेह या रक्तचाप जैसी स्वास्थ्य संबंधी समस्या की वजह से है| खून और पेशाब की जाँच करके किडनी कितनी प्रतिशत खराब हुई है और कौन-सी चरण में है इस बात का पता लगाया जाता है, फिर उसी हिसाब से उपचार की शुरुआत की जाती है|

क्रोनिक किडनी रोग के चरण 2 के लक्षण क्या होते हैं?

वैसे तो क्रोनिक किडनी रोग के चरण 2 में लक्षण साफ नहीं दिखाई देते हैं लेकिन फिर भी कुछ बातों पर ध्यान दिया जाए, तो हम अपनी किडनी की समस्या के बारे में जान सकते हैं|

  • क्रिएटिनिन या यूरिया का स्तर का ज्यादा होना
  • पेशाब में खून या प्रोटीन का आना
  • पॉलीसिस्टिक किडनी रोग का इतिहास यानि पी.के.डी
  • थकान महसूस होना
  • नींद ना आना
  • कमर दर्द
  • अचानक से वजन बढ़ना
  • सूजन की समस्या

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सोडियम का सेवन कम करें–

हमारे शरीर में सोडियम या नमक की मात्रा का अधिक होना उच्च रक्तचाप की समस्या को पैदा करता है| जिसके कारण किडनी के काम करने की गति धीमी हो जाती है या किडनी काम करना बंद भी कर सकती है| किडनी के काम में अधिक गिरवट किडनी फेल्योर के खतरे को बढ़ा देती है|

प्रोसेस्ड फूड और जंक फूड–

प्रोसेस्ड फूड और फास्ट फूड को बनाने में नमक और चीनी का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे शरीर में अस्वस्थ वसा की मात्रा बढ़ने लग जाती है| किडनी की समस्या से बचने का सबसे अच्छा उपाय है कि आप प्रोसेस्ड फूड और जंक फूड का पहरेज करें| इसमें चिप्स, क्रैकर और कूकीज तो शामिल है ही, साथ ही पहले से पैक किया गया खाना, डब्बाबंद आहार भी शामिल हैं| आपको लगता होगा कि बंद डब्बे की सब्जियां और फल स्वस्थ है लेकिन उनको चीनी या नमक की मात्रा का अधिक इस्तेमाल करते हुए पैक किया जाता है| जिसका सेवन आपकी किडनी के लिए हानिकारक होता है|

पोटेशियम और फॉस्फोरस–

किडनी की समस्या को देखते हुए, डॉक्टर आपके आहार में पोटेशियम और फास्फोरस के सेवन को बंद करने की सलाह देते हैं| पोटेशियम और फॉस्फोरस से समृद्ध खाद्य पदार्थ खाने से आपकी किडनी की समस्या बढ़ सकती है और डायलिसिस या ट्रांसप्लांट जैसे दर्दनाक उपचार का सामना भी करना पड़ सकता है|

पोटेशियम और फॉस्फोरस का अधिक सेवन आपकी स्वस्थ किडनी को भी खराब करता है| अगर किडनी के मरीज़ इनका सेवन करते हैं तो इससे यह खनिज पदार्थ उनके रक्त में इकठ्ठा होने लगता है| पोटेशियम से समृद्ध खाद्य पदार्थ में दूध और दूध से बनी हुई चीज़े, योगर्ट, एवोकाडो, केला और अन्य सब्जियां व फल, नट्स और बीन्स भी शामिल हैं| फॉस्फोरस से समृद्ध खाद्य पदार्थ में कोल्डड्रिंक, डेयरी प्रोडक्ट भी शामिल हैं| किडनी मरीजों को इनका सेवन नुकसानदायक होता है|

अधिक प्रोटीन का सेवन न करें–

आप अपने आहार में प्रोटीन की मात्रा को नियंत्रित करें, जिससे अत्यधिक प्रोटीन आपके शरीर में न जाए| इससे किडनी के काम पर कम दबाव पड़ेगा और आप किडनी की समस्या के जोखिम को भी कम कर पाएंगे| प्रोटीन से समृद्ध खाद्य पदार्थ में अंडा, चिकन, मछली, मीट और दूध से बनने उत्पाद शामिल है|

इनके अधिक सेवन से शरीर में प्रोटीन की मात्रा बढ़ने से यह एक विषाक्त पदार्थ का रूप ले लेती है| जिससे आपकी किडनी धीरे-धीरे खराब होने लगती हैं| किडनी के मरीज आपने आहार में से प्रोटीन की मात्रा को कम करना जरुरी होता है ताकि इससे उनके स्वास्थ में किसी प्रकार की कोई हानि न हो|

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